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14 - मस्तिष्क में होने वाली गांठ (Brain Tumour)
177 न हो । इस कारण ब्रेईन के कई ऑपरेशन ६ से १२ घंटो तक लम्बे चलते है । एनेस्थेसिया के विकास से ऑपरेशन का खतरा भी पहले से बहुत कम हुआ है । ऐसे कुशल सर्जन, अच्छे साधन और अच्छे एनेस्थेसिओलोजिस्ट डॉक्टर्स पूरे भारत में हर जगह है, वह हमारा सौभाग्य है।
ऑपरेशन के बाद फिजियोथेरेपी की जरुरत पड़ती है। गांठ के उपचार दरम्यान किसी प्रकार का दुष्प्रभाव हो तो उसका भी उपचार किया जाता है। गांठ की बायोप्सी में अगर केन्सर का पता चले तो किमोथेरेपी, रेडिमेशन इत्यादि द्वारा मरीज को जितना ज्यादा ठीक हो सके उतना ठीक करने का प्रयास किया जाता है ।
इस प्रकार ब्रेईन टयूमर निश्चित ही तकलीफजनक रोग है । किन्तु, अधिकतर और मुख्यतः बिना केन्सरवाले मरीजों को अधिक अच्छे परिणाम मिल सकते है। उसके लिए उनके लक्षणों/चिह्नों को जल्दी पहचानना, उसका विश्लेषण करना, तात्कालिक निष्णात डॉक्टरों के पास निदान करवा कर शीघ्रता से उपचार करना जरूरी है, ऐसे केस में संपूर्ण (या तो अधिक मात्रा में) सफलता मिल सकती है ।
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