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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ (३) एटेक्सिक सेरिब्रल पाल्सी और हाईपोटोनिक सेरिब्रल पाल्सी :
शरीर का संतुलन नहीं रहता है और शरीर के स्नायु बहुत ढीले रहते है। शरीर जैसे की रबर का बना हुआ हो ऐसा प्रतीत होता है।
सी.पी. बच्चे में उपर्युक्त एक या अधिक प्रमाण हो सकते है। इसके उपरांत निम्नलिखित कुछ तकलीफ सामान्यतः देखने को मिलती है :
(१) तिरछी आँख - ५० से ६०% बच्चों में देखने को मिलती है। (२) द्रष्टि में कमी। (३) मिर्गी (एपिलेप्सी)-६६ % । (४) सुनने में तकलीफ । (५) मंद बुद्धि - ६६ % ।
(६) स्वभाव में जिद्दीपन, इत्यादि । सामान्य जानकारी :
जन्म से ही सेरिब्रल पाल्सी होना दुर्भाग्यपूर्ण तो है पर उसमें सुधार न हो सके ऐसा भी नहीं है। कुछ बच्चों को सामान्य तकलीफ हो तो सुधार शीध्र ही होता है। शेष केस में बहुत व्यायाम (फिजियोथेरेपी) से तथा योग्य दवाई के संयोजन से लंबे समय के बाद कुछ लाभ हो सकता है । इस प्रकार की बीमारी में करीब तीस प्रतिशत मरीजों को तीव्र रोग होता है, जिसमें अच्छे होने की संभावना कम होती है।
जन्म पश्चात प्रथम महीने तक नोर्मल दिखने वाला बच्चा क्रमशः उसके विकास में बहुत पीछे रह गया है, ऐसा दिखता है या तो वह बैठना सीख नहीं सकता। इसी प्रकार चलने की क्रिया जो सामान्य संयोग में एक वर्ष की उम्र में होनी चाहिए, वह अधिक विलंबित होती है और चलना सीख ले तो पैर के पंजे पर खड़े रहने का प्रयत्न करता है और चलने में बहुत तकलीफ होती है।
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