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15 - सेरिब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy)
इसी कारण योग्य केस में नवजात बच्चे को योग्य निरीक्षण तथा उपचार हेतु इन्क्युबेटर में रखा जाता है। लेकिन प्रत्येक बच्चे में कारण मिल जाए ऐसा नहीं होता । उपर्युक्त अधिकतर कारणों को रोका जा सकता है, लेकिन इसके लिए हम सभी को जाग्रत रहना जरूरी है। इस कारण शिशु का जन्म (डीलीवरी) विविध सुविधावाली अस्पताल में निष्णात तबीब द्वारा ही करवाना चाहिए। • सेरिब्रल पाल्सी के प्रकार : (१) स्पास्टिक सेरिब्रल पाल्सी : सी.पी. का यह सबसे सामान्य प्रकार
है। इस प्रकार में स्नायु खिचे हुए और कड़क रहते है, परिणामतः इससे असरग्रस्त हाथ-पैर को मोड़ने या सीधा करने में ताकत लगानी पड़ती है। पैर में अंटस या चौकड़ी पड जाती है। खड़े रहने या चलते समय बच्चा सिर्फ पैर के पंजे का ही उपयोग करता है और एडी ऊँची रखता है। इसकी असर शरीर के किस अंग में हुई है, वह आधार पर उसके उपप्रकार निम्नलिखित है :
हेमीप्लेजिया : जब आधा अंग अर्थात् एक हाथ, एक पैर और वही तरफ धड़ के स्नायुओ में असर दिखता हैं । डाइप्लेजिया : दोनों पैर के स्नायुओं पर असर हो और कभी
हाथ में कुछ असर दिखें । • क्वाड्रीप्लेजिया : जब दोनों हाथ और दोनों पैर तथा धड़ के
स्नायुओं पर असर दिखता है। (२) डिसकाईनेटिक (डिसटोनिक, एथिटोईड) सेरिब्रल पाल्सी :
शरीर के अंगो में अनैच्छिक हलन-चलन होता है, जिससे इच्छा अनुसार कार्य करने में तकलीफ होती है। शरीर धनुष की तरह तिरछा हो जाता है और मस्तिष्क के नियंत्रण में नहीं रहता है ।
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