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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ शायद मिर्गी की दवाई आजीवन लेनी पड़ती है। शरीर के अन्य हिस्सो में से केन्सर मस्तिष्क में आए तो उसे मेटास्टेटिक टयूमर कहा जाता है। इस स्थिति में कई बार ब्रेइन टयूमर के चिह्न द्वारा मरीज को अन्य कहीं केन्सर है, ऐसी जानकारी मिलती है तब अत्यंत विलंब हो चुका होता है। फिर भी प्राईमरी केन्सर ढूंढकर उसकी ट्रीटमेन्ट करवाने से आयु बढ़ाई जा सकती है।
उपचार :
निदान होने के पश्चात् ब्रेईन टयूमर के उपचार में न्यूरोलोजिस्ट से अधिक महत्वपूर्ण भूमिका न्यूरोसर्जन की रहती है । गांठ केन्सर की साबित हो तो ओन्कोलोजिस्ट और रेडियेशन देनेवाले रेडियेशन फिजिशियन की भी अधिक जरूरत रहती है । ऑपरेशन और अन्य उपचार के बाद मस्तिष्क के शेष लक्षण जैसे कि मिर्गी, सूजन और पक्षाघात इत्यादि में न्यूरोलोजिस्ट की समय समय पर सलाह ली जा सकती है।
ब्रेईन टयूमर के ऑपरेशन खूब अच्छी तरह विकसित हुए है, जिसमें कुछ प्रकार की गांठ में मस्तिष्क को बिना खोले गामा रेडिशन से गांठ को आगे बढ़ती रोककर उसे सूखाई जाती है। यह
ऑपरेशन असफल रहे तो मस्तिष्क को खोल कर दुबारा ओपरेशन किया जा सकता हैं । कुछ छोटी और बाहर की गांठ केवल स्टिरिओटेक्सिस तकनीक द्वारा विशिष्ट सूई से दूर हो सकती है तो कुछ केस में निश्चित-विशिष्ट किरणें द्वारा उसे जलाया या पिघलाया जा सकता है ।
शेष केसो में ऑपरेशन द्वारा मस्तिष्क या करोड़रज्जु खोलकर संभव हो तो गांठ के उतने भाग को सर्जन निकाल देते है । कभी माईक्रोस्कोप की मदद से बारीकी से सूक्ष्म सर्जरी हो सकती है, जिससे परिणाम अच्छे मिले और नोर्मल हिस्से को किसी प्रकार का नुकशान
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