________________
166
मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ विश्व आरोग्य संस्था (WHO) द्वारा एच.आई.वी. (Human Immunodeficiency Virus) हेतु निश्चित मुख्य लक्षणों अनुसार : १. एक महीने से अधिक समय के लिए बुखार. २. एक महीने से अधिक समय के लिये दस्त और वजन में
१० % से अधिक कमी होना ।। उपरांत खांसी आना, शरीर में खुजली होना, मुँह, गले अथवा गुदा या गुप्त भाग में छाले होना, दो-तीन जगह में लसिकाग्रंथि का फूल जाना, या बारबार हर्पिस झोस्टर हो
तो एच.आई.वी. परिक्षण करवाना चाहिए। एईड्स के रोग में न्यूरोलोजिकल सिस्टम अर्थात् मस्तिष्क और चेतातंत्र में लक्षण-चिह्न दिखते हैं । ऐसा कहा जाता है कि एईड्स के ३३ % मरीजों को स्पष्टतः न्यूरोलोजिकल बीमारी होती है और प्रत्येक मरीज के मस्तिष्क या चेतापेशी में थोड़ा बहुत नुकसान तो होता ही है ।
लेबोरेटरी परीक्षण :
मरीज के शरीर में एच.आइ.वी. के जंतु की उपस्थिति एलीसा ELISA टेस्ट द्वारा जानी जा सकती हैं । यह टेस्ट स्क्रिनिंग टेस्ट हैं । अगर इस टेस्ट में एच.आइ.वी. की उपस्थिति (पोजिटिव) देखने को मिले तो उसे 'वेस्टर्न ब्लोट' (Western Blot) टेस्ट द्वारा सुनिश्चित करना जरूरी हैं । संक्रमण होने के बाद अधिकतर ६ हफ्ते से ६ महिने में इस टेस्ट द्वारा मरीज के शरीर में एच.आइ.वी. की उपस्थिति के बारे में जाना जा सकता हैं । लेकिन शुरुआत के इस समय दौरान (Window Period) यह टेस्ट नेगेटिव या इनडिटरमिनेट (अनिश्चित) परिणाम दर्शाता हैं । मरीज के रक्त में वाईरस की मात्रा और CD4 नामक कोषों की संख्या (जिससे शरीर की रोग-प्रतिरोधक क्षमता जानी जा सकती हैं) विभिन्न परीक्षण द्वारा जानी जा सकती हैं, जो मरीज के उपचार में उपयोगी हैं। अगर यह काउन्ट १०० से कम हो तो मृत्यु नजदीक है ऐसा देखा गया है । इसके अलावा वाइरस लोड टेस्ट द्वारा बीमारी को कितना नियंत्रित किया गया है यह जान सकते हैं ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org