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निद्रा-विकार और उपचार
(Sleep Disorders)
निद्रा याने चैन की निंद प्रत्येक प्राणी के लिए खान-पान, प्रजोत्पत्ति जैसी ही एक मूलतः प्राकृतिक और प्राथमिक आवश्यकता है । हम अपने जीवन का औसतन एक तिहाई भाग नींद में गुजार देते है । निद्रा से, थके हुए हमारे शरीर को आराम मिलता है, शक्ति और उत्साह का संचार होता है, तन-मन फिर से तरोताजा और स्फूर्तिले हो जाते है । शरीर के जो कोष को घिसाव हो उसकी मरम्मत होती है, स्मृति द्रढ होती है, और हमारी शारीरिक स्वस्थता बनी रहती है । इस प्रकार निद्रा हमारे लिए कुदरत की ओर से मिली हुई अमूल्य बक्षिस भी कही जा सकती है। (स्वप्न, निद्रा की एक गूढ स्थिति है जिसे अधिकृत तरीके से पहचाना नहि जाने के कारण अभी तक पूर्णतः समझा नहीं गया है।) वैसे तो निद्रा, सभानता और बेभान अवस्था दोनों से ही अलग है । लेकिन प्रयोगों, लेबोरेटरी टेस्ट और निद्रा संदर्भ के अभ्यासों से यह जाना गया है कि निद्रा सभानावस्था का ही अन्य रूप है।
हमारे जीवन में निद्रा का स्थान अत्यंत महत्त्वपूर्ण है, फिर भी उसकी अधिकांश उपेक्षा हुई है। निद्रा के विकार-रोगों का योग्य निदान न होने से ऐसे मरीज का संपूर्ण उपचार भी ज्यादातर योग्य तरीके से नहीं होता है । इससे जनसमुदाय की कार्यक्षमता तथा स्वस्थता में उल्लेखनीय कमी हुई है। अच्छी नींद हमें रोगो से दूर रखती है, नादुरस्त तबियत के समय आराम प्रदान करती है, तनाव के समय में भावनाशील राहत देती है । निद्रा विकार के कारण, दिन के दौरान तंद्रावस्था रहने से अधिकतर सड़क दुर्घटना भी होती है, यह सब जानते है ।
यदि मरीज की निद्रा संबंधित तकलीफों के वर्णन को अधिक ध्यान से समजा जाये तो उसके अधिकांश विकारों को समझा जा सकता है और उसका योग्य उपचार भी किया जा सकता है। जब मरीज को निद्रा
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