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12 - मस्तिष्क की संक्रमित बीमारियाँ (CNS Infections)
153 (सबएक्यूट स्क्लेरोजिंग पानएन्सेफेलाइटिस), जेकोब-क्रुड्झफेल्ड्ट आदि मुख्य है । दुर्भाग्य वश इसमें से किसी बीमारी की दवाई उपलब्ध नहीं है । थोड़ी राहत मिले ऐसी दवाई से काम चलाना पड़ता है और अधिकांशतः ऐसे स्लो वायरस के केस में मरीज की अन्ततः मृत्यु हो जाती है। (५) फाल्सिपेरम मलेरिया :
मलेरिया के जंतु सूक्ष्म जीवसृष्टि में है । परंतु वे बेक्टेरिया या वायरस से एकदम विपरीत प्रोटोजोआ समूह के हैं । यह जंतु मलेरियल पेरेसाइट (परोपजीवी जंतु) के नाम से जाने जाते है । इन जंतुओं के कुल चार उपप्रकार है। परंतु उसमें वाइवेक्स और फाल्सिपेरम मुख्य है। फाल्सिपेरम के बारे में जानने से पहले हम इस प्रचलित बीमारी के बारे में सविस्तर जानेंगे ।
यह मलेरियल पेरेसाईट का जीवनचक्र दो अवस्था में होता है : (१) एक अवस्था मादा एनोफीलिस मच्छर में होती है । यह
अवस्था प्रजनन अवस्था के रूप में जानी जाती है । (२) दूसरी अवस्था मनुष्य के लीवर-यकृत के कोष और रक्त
में स्थित रक्तकणों में होती है । यह अवस्था विकास,
विभाजन और वृद्धि की अवस्था कही जाती है । एनोफिलिस मादा मच्छर मनुष्य को काटता है तब उसके डंस के साथ मलेरियल पेरेसाइट के स्पोरोजोइट्स मनुष्य के रक्त में मिलते है और थोड़ी देर में लीवर के कोषो में दाखिल हो जाते है । वहाँ उसका विकास, विभाजन और वृद्धि होती है । अन्ततः लीवर के कोष टूटते है
और असंख्य मेरोज़ोइट्स रक्त में मिलते हैं । जो रक्त में तैरते हुए रक्तकणों में प्रवेश करते हैं । इस अवस्था में कुछ मेरोज़ोईट्स गेमेटोसाइट्स (नर और मादा) में रुपांतरित होते है । गेमेटोसाइट्स प्रजनन की अवस्था है।
एनोफिलिस मादा मच्छर जब मलेरिया के मरीज को काटता है और रक्त लेता है तो उसके साथ ही गेमेटोसाइट्स भी उसके पेट में
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