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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ इन जंतुओ में मेनिन्गोकोकस, स्टेफिलोकोकस, न्यूमोकोकस, स्ट्रेप्टोकोकस, लीस्टिरिआ, एच. इन्फल्युएन्झा, स्युडोमोनास, प्रोटीअस, इ. कोलाई ऐसे विभिन्न ग्राम-पोजिटिव और ग्रामनेगेटिव स्वरूप के बेक्टेरिया होते है, जो मस्तिष्क को शीघ्रता से विविध प्रकार के नुकसान करते है; परंतु यदि तत्काल उपचार हो तो किसी भी प्रकार की दूरोगामी विकलांगता की असर के बिना मरीज एकदम ठीक हो सकता है । इसलिए किसी भी प्रकार के सिर दर्द के साथ यदि बुखार आता है तो मस्तिष्क के संक्रमण की एक उल्लेखनीय आशंका रहती है। साथ ही यदि मरीज का बोलना चलना और हावभाव बदल गया हो, मिर्गी आती हो या होश खोने की शुरुआत हुई हो तो तात्कालिक आधी रात को भी सी. टी. स्कैन कर देना चाहिए । उसे अस्पताल में दाखिल कर देना चाहिए । जरूरत पड़ने पर कमर का पानी (CSF Examination) सावधानीपूर्वक निकलवा कर, उपचार सुनिश्चित करना अति महत्वपूर्ण बनता है । यह जाँच श्रेष्ठ डॉक्टर के पास और श्रेष्ठ लेबोरेटरी में करवाना अति आवश्यक है। इससे ही मरीज के भावि उपचार के बारे में जाना जा सकता है । इसमें किसी भी प्रकार का समाधान नहीं करना चाहिए (No Compromise) ।
कमर के पानी (CSF) की जाँच में ऐसे मेनिन्जाइटिस में सामान्यतः सैंकडो से लेकर हजारों की संख्या में न्यूट्रोफिल्स (श्वेतकणों का एक प्रकार) होते है । प्रोटीन थोड़ा बढ़ता है और पानी में सुगर (ग्लूकोज) अत्यंत कम या नहिवत् हो जाती है । टी. बी. मेनिन्जाइटीस के कमर के पानी के रिपोर्ट से यह रिपोर्ट अलग प्रकार का होता है । इसके उपरांत ग्राम स्टेईन द्वारा माईक्रोस्कोप में अधिकतर जंतू भी निश्चिततापूर्वक जाने जाते है । इन सब बातों को ध्यान में रखकर तात्कालिक कौन सी दवाई शुरु करनी चाहिए उसका निर्णय किया जाता है । प्रत्येक केस में CSF कल्चर एन्ड सेन्सिटिवीटी टेस्ट करवाना चाहिए, जिसका परिणाम ४८ से ७२ घंटे में मिलता है और उसके अनुसार पहले ही पसंद की गई दवाई में बदलाव करने की जरूरत है या नही वह तय किया जाता है ।
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