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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ नहीं है और मिट सकते है । इसका समयसर इलाज हो सके इसलिए जागृति के लिए यह प्रकरण लिखा गया है । आशा है कि इससे लोगों की निद्रा प्रवृत्ति में योग्य सुधार होगा और इससे संबंधित रोगों का योग्य और समयसर इलाज होगा।
(सुर्खियाँ मनुष्य जीवन में निद्रा का स्थान अत्यंत महत्वपूर्ण है। नवजात शीशु को १६-२० घंटा, बालक को १०-१२ घंटा, युवान को ७-७.५ घंटा और प्रौढ़ व्यक्ति को ६.५ घंटो की नींद की आवश्यकता होती है । अनिद्रा, अस्थिर पैर, प्रगाढ निदा में श्वासावरोध, अतिनिद्रा, केटाप्लेक्सी, विक्षिप्त निदा, निदामें चलना, निद्रा में डर लगना, निद्रा में झटके आना, दुःस्वप्न आना, निद्रामें दांत भीडना, निद्रा में पेशाब हो जाना, मानसिक विकृति, उन्माद, स्मृतिभ्रंश, अनैच्छिक निदा की बिमारी वगैरह निद्रा से जुड़े हुए विकार है । अधिकतर निद्रा के रोग सामान्य है, गंभीर नहि है और समयसर इलाज करने पर स्वस्थता आ सकती है।
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