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11 - निद्रा-विकार और उपचार (Sleep Disorders) (६) मानसिक और दैहिक परिस्थिति से संबंधित निद्रा के विकार : (A) मानसिक विकृति, मनोरोगी, चिंता, उचाट, शराब से
संबंधित । (B) मस्तिष्क की विकृतियाँ, उन्माद, पार्किन्सन बिमारी,
ओपिलेप्सी, स्मृतिभ्रंश से संबंधित। (C) अन्य : अनैच्छिक निद्रा की बीमारी (Sleeping
Sickness), फेफड़े की बीमारी, अस्थमा, जठर में छाले पड़ना, अन्न नलिकाओं की तकलीफ इत्यादि द्वारा निद्रा में
विक्षेप होना। (७) अन्य प्रकार के निद्रा-विकार :
(A) कम सोने वाले (B) लम्बे समय तक सोने वाले (C) अर्धजाग्रत/ तंद्रावस्था वाले (D) निद्रा में झटके आना (E) निद्रा में अत्यंत पसीना होना (F) मासिक समय से संबंधित विकार (G) गर्भावस्था से संबंधित (H) इसके उपरांत निद्रा में होनेवाली अन्य तकलीफों में श्वास
रुकना, श्वास बढ़ जाना, आवाज आना इत्यादि । इस प्रकार निद्रा के इतने सारे विकार होने के बावजूद निद्रा इन रोगों की जननी है, ऐसा मानने की गलती नहि करनी चाहिए । निद्रा मनुष्य को हकीकत में हकारात्मक स्वास्थ्य देनेवाली, शरीर को आराम देनेवाली और शक्ति का पुनः संचार करने वाली है । परमात्मा ने हमें निद्रा के रूप में उत्तम भेट दी है, सिर्फ उसका योग्य जतन करना चाहिए और हमने आगे देखा कि अधिकतर निद्रा के रोग सामान्य है, गंभीर
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