________________
10 - स्मृतिभ्रंश-मतिभ्रंश; और याददास्त बढ़ाने के उपाय
121 या अधिक मात्रा में बना रहता है, परंतु रोग आगे बढ़ने से मरीज की हालत अधिक खराब हो जाती है। साथ में पक्षाघात का असर भी हो सकता है, परंतु किस नलिका पर असर है उस पर वह आधारित है ।
मरीज के उपरोक्त लक्षणों के उपरांत सी. टी. स्कैन, एम.आर.आई., एम.आर. एन्जियो द्वारा निदान बहुत निश्चित रूप से हो सकता है । इस तरह आल्जाइमर्स की तुलना में निदान अति सहज हैं । रक्त में चरबी का प्रमाण, गले की नसों का केरोटिड डोप्लर, हृदय का द्विपरिमाणीय इको (टू-डी इको) इत्यादि टेस्ट निदान में विशेष सहायक होते हैं ।
रक्त पतला करने की दवाई के उपरांत इस रोग को होने से रोकने के लिए ब्लडप्रेशर, डायाबिटीस का नियंत्रण तथा आहार का नियमन और नियमित व्यायाम इत्यादि अनिवार्य हो जाता है। कभी-कभी आल्जाइमर्स और वास्क्युलर डीमेन्शीआ साथ भी हो सकता है । • स्मृतिभ्रंश के मरीजों की सारवार :
इस रोग के मरीजों के लिये सरल हो और वह जितना भी स्वावलंबी रह सके इस प्रकार की दिनचर्या का आयोजन करना चाहिए । साथ ही मरीज की सुरक्षा के लिए भी ठोस कदम उठाने चाहिए। स्नानादि और कपड़े पहनने, भोजन करने, जैसे नित्यक्रमो में मरीज की अवस्था अनुसार योग्य मदद करनी पडती है। याददास्त में मदद कर सके ऐसी बातों को ढूंढकर मरीज को समस्या में से निकाल सकते है, जैसे की लिखने के लिए डायरी देना । मरीज के साथ बातचीत का व्यवहार रखना अत्यंत जरूरी है, जिससे मरीज की संवेदनायें बनी रहें ।
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org