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6 - मस्तिष्क में रक्तस्राव (Brain Hemorrhage) ९५ - ९८ % निश्चितता से ऐसे गुब्बारे जिसे एन्युरिझम कहते है, वह है या नहीं यह कहा जा सकता है । इसका खर्च करीबन रू. ४ से ६ हजार का है । ऐसे सभी केसो में इस टेस्ट करवाने के बारे में अभी सहमति नहीं है । परंतु मेरे अनुभव और मतानुसार मात्र एक ही तरफ रहनेवाले आधाशीशी के दर्द में यह टेस्ट करवाना लाभदायक है।
इस रोग के चिह्न में जो बात सबसे अधिक ध्यानाकर्षित करती है वह यह है कि मरीज को जीवन में पहले कभी अनुभव न हुआ हो ऐसा भयंकर सिर दर्द होता है । कोई कोई को साथ में मिर्गी भी आती है और मस्तिष्क में सूजन आने के कारण मरीज क्षणिक बेहोश भी हो जाता है । सामान्यतः मरीज होश में आने के बाद दुबारा बेहोश हो जाता है । पक्षाघात हो या तेज श्वास, बी.पी. और हृदय आदि बिगडे तो तात्कालिक अथवा १४ से ३० दिन में मरीज की मृत्यु हो जाती है । इसलिए जब भी मरीज यह कहे की उसे इतना भयंकर सिरदर्द कभी जीवन में नहीं हुआ है और साथ ही उपरोक्त एक भी चिह्न हो तो बिना चूके न्यूरोलोजीकल जाँच करवा लेनी चाहिए, जिसके परिणामस्वरुप समय पर इलाज होने से जिंदगी बचाई जा सकती है। • मस्तिष्क नलिकाओं की जाँच :
एन्जिओग्राफी नामक टेस्ट, इस तरह की जाँच का मुख्य माध्यम है। एम.आर. एन्जिओग्राफी इस प्रकार की जाँच है, जिस में एम.आर.आई. के मेग्नेट द्वारा नलियों की जाँच होती है। किसी प्रकार का केथेटर शरीर की नसों में नहीं डाला जाता, अतः इसे नोन-इन्वेझिव टेस्ट कहा जाता है । कोरोनरी एन्जिओग्राफी के लिए हमेशा केथेटर किसी नली में डाला जाता है, जिसमें कुछ खतरे भी होते है । इसमें ऐसा नहीं होता । इस प्रकार के टेस्ट में ९० से ९५% जितनी निश्चितता से निर्णय हो सकता है, इसलिए इसे स्कीनिंग टेस्ट के रूप में उपयोग कर सकते है। सबसे भरोसेमंद टेस्ट तो कन्वेन्शनल फोर(४)-वेसल एन्जिओग्राफी अथवा
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