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Parkinsonism)
सन् १८१७ में डॉ. जेम्स पार्किन्सन ने सबसे पहले मस्तिष्क के इस रोग के लक्षणों की विस्तृत जानकारी दी थी, इसलिए यह रोग उन्हीं के नाम से जाना जाता है । वयस्क लोगों में यह परेशान करता हुआ प्रचलित रोग है, जिसमें मस्तिष्क का 'सबस्टेन्सिया नायग्रा' नामक कोष-समूह किसी कारणवश क्षतिग्रस्त होकर नष्ट हो जाता है, तब 'डोपामीन' नामक ब्रेईन के मुख्य जैविक रसायन की उत्पत्ति कम हो जाती हैं । इसी कारण हलनचलन कम और मंद हो जाना, कंपन, स्नायुओं का कड़कपन इत्यादि लक्षण दिखते है । उसकी शुरुआत अधिकतर शरीर की एक तरफ अर्थात् दाएँ या बायें अंग से होती है। कुछ मरीजों में आगे चलकर कुछ वर्षों में यह दोनों तरफ के अंगो में फैल जाता है। लक्षण : (१) आराम के समय में या बैठे बैठे भी हाथ-पैर की उंगलियाँ
में विशिष्ट प्रकार से (पीलरोलिंग की तरह अथवा रूपये की नोट गिनते हो इस प्रकार से हाथ की उंगलियाँ का लयबद्ध)
कंपन। (Tremors) (२) थोडा झुककर छोटे और शीघ्र कदम से चलना, और चलते
समय हाथ का हलनचलन कम हो जाना । (३) सभी क्रिया कम होना और मंद होना । (Bradykinesia) (४) हाथ-पैर और चहेरे के स्नायु कड़क होना । (Rigidity) (५) अक्षर छोटे हो जाना ।
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