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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ कारणों में आधाशीशी प्रमुख बीमारी है, जिसे सामान्यतः माइग्रेन के नाम से जाना जाता है । इसके अलावा अन्य साधारण कारणों में टेन्शन, दवाई का दुष्प्रभाव, क्लस्टर हेडेक आदि है । इस प्रकार के दर्द में मस्तिष्क की जाँच संपूर्णतः नोर्मल होती है और मरीज को किसी प्रकार की विकलांगता या पेरेलिसिस का भय नहीं रहता । इसके उपरांत डिप्रेशन, शराब का व्यसन, गर्दन के मणके की बीमारी, शरदीसाईनुसाइटीस, आँखो की कमजोरी या झामर की बीमारी अथवा न्यूराल्जिया आदि से भी सिरदर्द हो सकता है ।
१. आधाशीशी (माईग्रेन) माईग्रेन - आघाशीशी बहुत ही प्रख्यात रोग है । इसके एटेक (हमला) के दौरान मरीज बहुत ही निःसहाय, परेशान और लाचार हो जाता है । बीस प्रतिशत वयस्को को यह बीमारी कम या अधिक प्रमाण में हो सकती है । इस बीमारी में महीने में औसतन १ से ६ बार (कभी-कभी हररोज़) सिरदर्द हो सकता है, जो की सिर के एक या दोनों तरफ (दाएँ और बायें) होता है । इसका दर्द तीव्र और लयबद्ध होता है, जो काम करने से बढ़ता है, कई बार डकार, उलटी आना, आँखों के सामने अंधेरा छाना और प्रकाश के सामने अधिक न देख सकना, आवाज़ सहन न कर सकना, जैसी परिस्थिति होती है। यह दर्द ४ से ७२ घंटे तक चलता है । ऐसे पांच जितने एटेक आये तो मरीज को माइग्रेन है, ऐसा निदान हो सकता है । सामान्यतः उल्टी होने के बाद और आराम से दर्द बंध हो जाता है ।
आधाशीशी (माईग्रेन) के प्रकार : (१) कोमन माईग्रेन (२) क्लासिक माईग्रेन (जिसमें आँख-द्रष्टि से संबंधित चिह्न ।
होने जरूरी है। ) (३) माईग्रेन के साथ क्षणिक पक्षाघात होना (४) क्लस्टर हेडेक (५) कोम्प्लिकेटेड माईग्रेन
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