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मस्तिष्क और ज्ञानतंतु की बीमारियाँ में पाँच नम्बर की नस पर अथवा आसपास में गांठ हो अथवा मल्टिपल स्क्ले रोसिस (यह रोग अपने देश में बहुत कम देखने को मिलता है) नामक विचित्र रोग हो सकता है ।
ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया की ट्रीटमेन्ट पहले तो मेडिकल अर्थात् दवाई से करनी चाहिये । मुख्य दवाई है कार्बामेजेपीन (टेग्रेटोल, कार्बेटोल, झेप्टोल इत्यादि) । उसका असर ८० % मरीजों में अधिक अच्छा होता है, अन्य मरीजों में फीनाइटोइन, गाबापेन्टीन, क्लोनाझेपाम और बेक्लोफेन आदि दवाई का उपयोग किया जा सकता है। ___ दर्द को शांत करने के लिये दर्द निवारक दवाई का प्रयोग भी किया जा सकता है । आल्कोहल के लोकल इन्जेक्शन से उस नस में तीनचार महीने तक राहत मिलती है । ट्राइजेमिनल न्यूराल्जिया में RFTC अर्थात् रेडियो फ्रिक्वन्सी थर्मोकोएग्युलेशन से नस को शांत किया जाता है । यह पद्धति अक्सीर है और अत्याधिक दर्द का इलाज ओ.पी.डी. प्रोसीजर से किया जाता है, जिससे ९० से ९५ प्रतिशत सफल परिणाम आते है । जिस मरीजों में दवाई असर न करती हो ऐसे केस में सर्जरी की मदद से (राइज़ोटोमी, न्यूरेक्टोमी) नस काट दि जाती है। हालांकि सबसे श्रेष्ठ उपाय तो माईक्रोवास्क्यूलर डिकम्प्रेशन सर्जरी है, जिसमें उपर बताई गई रक्तवाहिनी को पाँच नंबर की चेता से अलग करके बीच में जेलफॉम रखा जाता है । यह सभी ट्रीटमेन्ट गुजरात, मुंबई तथा सभी बड़े सेन्टरों में न्यूरोसर्जन के पास उपलब्ध है ।
५. वर्टिगो (चक्कर आना) एक सर्वेक्षण अनुसार ओ.पी.डी. में आनेवाले मरीजों में चक्करअसंतुलितता, छाती का दर्द और शारीरिक थकावट-कमजोरी के बाद का तीसरा सबसे प्रचलित लक्षण है। प्रौढ व्यक्तिओं में औसतन ५० प्रतिशत को यह तकलीफ होती है । जब व्यक्ति को अपने आसपास की चीजे घुमती हुई लगे अथवा व्यक्ति स्वयं को भी घुमता हुआ
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