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5- पक्षाघात - लकवा (पेरेलिसिस ) - STROKE
रक्त में चरबी का प्रमाण (खास प्रकार से कोलेस्टरोल या एल.डी.एल. प्रकार की चरबी) अधिक हो और / या एच.डी.एल. प्रकार का कोलेस्टरोल कम हो, ऐसे मरीज़ों को सीमवास्टेटीन, अटोर्वास्टेटीन जैसी स्टेटीन प्रकार की दवाई नियत मात्रा में लंबे समय तक देने से हार्टएटेक तथा पक्षाघात का निवारण (प्रिवेन्शन) किया जा सकता है, ऐसा वैज्ञानिक सत्य अभी बहुत स्वीकृति पा रहा है । ऐसी दवाओं के उपयोग से हार्ट और केरोटिड नलिका से संबंधित ज्यादातर सर्जरी या एन्जियोप्लास्टी से बचा जा सकता है, उसमें दो मत नहीं है ।
निदान :
पक्षाघात, मस्तिष्क का रोग होने से अनुभवी फिजिशियन अथवा मस्तिष्क रोग निष्णात (न्यूरोफिजिशयन) के पास बिना विलंब योग्य उपचार लेना चाहिए । यह निष्णात, मस्तिष्क के किस भाग में कितने अंश में क्षति पहुंची है, यह जानने के लिए सभी आवश्यक शारीरिक जाँच तथा कुछ संलग्न जाँच करवाते है । अधिकतर मस्तिष्क का सी.टी. स्केन या एम. आर. आई. टेस्ट करवा कर उपचार का योग्य निर्णय लिया जाता है । पक्षाघात होने के प्रारंभिक समय में सी. टी. स्केन करवाने का हेतु मरीज़ को थ्रोम्बो एम्बोलिजम है या हेमरेज है, वह जानने का है। सी. टी. स्केन में हेमरेज तुरंत ही दिखाई देता है । थ्रोम्बोसिस के केस में सी. टी. स्केन शुरुआत के कुछ घंटे तक नोर्मल आता है । जिसको हेमरेज नहीं है यह निश्चित होने के बाद पक्षाघात के अन्य केसों में थ्रोम्बोसिस का उपचार साधारण सी. टी. स्केन के आधार पर सामान्य प्रकार से तत्काल ही शुरू कर दिया जाता है । जब कि १२-२४ घंटे के बाद कोन्ट्रास्ट डाई डालकर दोबारा सी.टी. स्केन करवाने से मस्तिष्क के कितने भाग में थ्रोम्बोसिस का असर है, यह स्पष्ट जाना जाता है जिससे मरीज़ के भविष्य के बारे में सोचा जा सकता है । कभी-कभी पक्षाघात जैसे लक्षण दूसरी किसी बीमारी के कारण हो तो यह भी सी.टी. स्केन से जान कर गंभीर भूल से बचा जा सकता है । श्रेष्ठ अस्पतालों में सीटी अन्जियोग्राफी और सीटी परफ्युजन स्केन द्वारा मिनटों में संपूर्ण निदान मिलता है ।
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