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महावीर : मेरी दृष्टि में तो मेरे लिये बाहर के जीवन का कोई अर्थ ही नहीं कि महावीर कब पैदा हुए, कब मरे; शादी को या नहीं की; बेटी पैदा हुई कि नहीं हुई। इन सबसे मुझे प्रयोजन ही नहीं, कोई अर्थ ही नहीं। हो तो ठीक, न हुआ हो तो ठोक । मैं तो यहां तक कहना चाहता हूं कि महावीर भी हुए हों तो ठीक, न हुए हों तो ठीक । यह महत्त्वपूर्ण ही नहीं है। जो महत्त्वपूर्ण है वह तो अन्तर में जो गति हुई, चेतना में जो विकास हुआ, जो रूपान्तरण हुआ वह महत्त्वपूर्ण है। वैसे तो किसी के अन्तर्जीवन में उतरा जा सकता है लेकिन तब भी तुम जांच नहीं कर पाओगे क्योंकि तुम खुद ही अपने अन्तर्जीवन से परिचित न हो। अगर फिर भी मेरी बात की जांच करनी हो तो तुम्हें अपने अन्तर्जीवन में उतरना पड़ेगा।
दूसरी बात यह है कि तुम्हारे बहिर्जीवन के बारे में यदि कोई कुछ घटनाएं बताये तो इससे यह पक्का नहीं होता कि वह महावीर के बारे में जो बताएगा वह ठीक होगा। क्योंकि तुम मौजूद हो और तुम्हारे बहिर्जीवन की घटनाओं में • उतरना बड़ी साधारण-सी कला की बात है जो एक साधारण-सा टेलिपैथिस्ट भी बता सकेगा, एक साधारण सा ज्योतिषी भी बता सकेगा। वह चार आने लेकर भी बता सकेगा । तो बहिर्जीवन का कोई मूल्य नहीं, अगर कोई बता भी दे तुम्हारे बहिर्जीवन को तो उससे कुछ प्रामाणिकता नहीं होती कि वह महावीर के अन्तर्जीवन के बारे में जो कहेगा वह कोई अर्थ रखता है । असल में बहिर्जीवन का कोई ऐसा सम्बन्ध ही नहीं है अन्तर्जीवन से, और इसीलिए यह समझने . जैसा है कि प्राइस्ट का बाहरी जोवन एक है, महावीर का बाहरी जीवन दूसरा है, बुद्ध का तीसरा है। फिर भी अन्तर्जीवन एक है और बहिर्जीवन को देखने वाले लोग इसलिए मुश्किल में पड़ जाये हैं।
जिसने महावीर के बहिर्जीवन को पकड़ लिया है; बुद्ध का जोवन समझने में वह असमर्थ हो जाएगा। क्योंकि जो महावीर के बहिर्जीवन में है, वह सोचता है कि अन्तर्जीवन से अनिवार्य रूप से बंधा हुआ है। जैसे वह देखता है कि महावीर नग्न खड़े हैं तो वह सोचता है कि जो परम ज्ञान को उपलब्ध होगा वह नग्न खड़ा होगा । और यदि बुद्ध वस्त्र पहने हुए हैं तो वह कैसे परम ज्ञान को उपलब्ध होंगे । बहिर्जीवन को पकड़ के कारण ही अन्तर्जीवन के सम्बन्ध में इतनी खाइयां खड़ी हो गई हैं। मुझे तो उससे प्रयोजन ही नहीं है।
तीसरी बात यह कि मैं ठीक कह रहा हूं महावीर के सम्बन्ध में या नहीं, इस बात की जांच का भी कोई अर्थ नहीं है। अर्थ केवल एक है कि वैसे अन्त