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आरुषी
( ३२ )
आस्तीक
इनका उद्दालक नामसे प्रसिद्ध होना ( आदि० आर्टिषेण-आश्रम-एक तीर्थ, यहाँ स्नान करनेवालेको सब ३ । २२-३२)।(२) धृतराष्ट्र नागके कुलमें उत्पन्न पापोंसे छुटकारा मिल जाता है ( अनु० २५ । २५)। एक नाग, जो जनमेजयके सर्पसत्र में जल मरा था ( आदि० आलम्ब-एक प्राचीन ऋषि, जो युधिष्ठिरकी सभामें ५७ । १९) । (३) कश्यप और विनताके पुत्र (आदि० विराजमान होते थे ( सभा० ४ । १४)। ६५ । ४०)। (४) एक कौरवर झोय महारथी वीर,
आलम्बायन-इन्धके सखा, आलम्ब गोत्रीय चारुशीर्ष ही जिसने शकुनि के साथ होकर अर्जुन पर हमला किया
आलम्बायन नामसे प्रसिद्ध हुए हैं ( अनु० १८ । ५)। था (द्रोण. १५६ । १२२ )।
आवर्तनन्दा-एक तीर्थ, इसका सेवन करनेवाले पुरुषको आरुषी-मनुकी पुत्री, च्यवन मुनिकी पत्नी । इसके पुत्रका
नन्दनवनमें स्वर्गीय सुख प्राप्त होता है (अनु० २५ । ४५)। नाम था 'और्व' । ये अपनी माके ऊरुसे प्रकट हुए, अतः और्व' कहलाये (आदि. ६६ । ४६)।
आवशार-पूर्वदिशाका एक भारतीय जनपद, जिसे कर्णने
दिग्विजयके समय जीता था ( वन० २५४ । ९)। आरोचक-भारतवर्षका एक जनपद और वहाँ के निवासी (भीष्म० ५१ । ७)।
आवसध्य-महान् तेजःपुञ्जसे सम्पन्न एक अग्नि
(वन० २२१ । ५)। आचीक-सैन्धवारण्यसे आगे मनीपी पुरुषों का निवासभूत एक पर्वत ( वन० १२५ । १६)।
आवह वायुके सात भेदोंमेंसे दूसरा (शान्ति० ३२८ । ३७)। आर्जव-सुबलपुत्र शकुनिका भाई, इरावान्द्वारा इसका आशाव
आशावह (१) दिवःपुत्र आदि बारह सूर्यो से एक वध ( भीष्म० ९० । २७-४६)।
( आदि. १ । ४२)। (२) एक वृष्णिवंशी राजकुमार,
__ जो द्रौपदीके स्वयंवरमें उपस्थित था (आदि० १८५। १९)। आतीयनि-ऋतायनके पुत्र शल्य, इनके पूर्व न श्रेप थे और सदा सत्य ही बोलते थे; इसलिये ये आयिनि कडे आश्रमवासपर्व-आश्रमवासिक पर्वका एक अवान्तरपर्व, गये हैं (शल्य० ३२ । ५६)।
(१ से २८ अध्याय तक )। आर्तिमान्-सर्पभय निवारण करनेवाला एक मन्त्र ( आदि. आश्रमवासिकपर्व-महाभारतका एक पर्व । ५८ । २३-२६)।
आश्राव्य-इन्द्रसभामें विराजमान होनेवाले एक मुनि आर्यक-एक प्रमुख नाग (आदि. ३५। ७)। ये शूर
(सभा० ७ । १८)। तामह थे, इन्होंने भीमको रसपान कराने के लिये आश्वलायन-विश्वामित्र के ब्रहावादी पुत्रोंमेंसे एक वासुकिसे प्रार्थना की (आदि. १२७ । ६४-६८)। अपने पौत्र सुमुख के साथ मातलिकी कन्या विवाहके आषाढ-(१) एक क्षत्रिय राजा, जो क्रोधवशमशक प्रसङ्गमें इनकी नारदसे बातचीत ( उद्योग० १०४। दैत्यके अंशसे उत्पन्न हुआ था (आदि०६७।५९-६३)। १३-१७)।
इन्हें पाण्डवोंको ओरसे रणनिमन्त्रण प्राप्त हुआ था आर्या-शिशुकी माता । सप्त मातृकाओमेसे एक
( उद्योग० ४ । १७)। (२) एक मासका नाम । (वन० २२८ । ३०)।
आषाढ़ मासमें एक समय भोजन करनेवाला पुत्र और धनआर्यावर्त-भारतवर्षका नामान्तर अथवा एक भारतीय
धान्यसे सम्पन्न होता है ( अनु० १०६ । २६)। (३)
भगवान् शिवका नाम (अनु. १७ । १२१)। (४) प्रदेश (शान्ति० ३२५ । १५)। (स्मृतियों के अनुसार विन्ध्य तथा हिमालयके बीचका भूभाग आर्यावर्त है । )
एक नक्षत्रका नाम, पूर्वाषाढ़ा-उत्तराषाढ़ा । इसमें उपवास
करके कुलीन ब्राह्मणको दधि दान करनेवाला पुरुष आष्टिषेण-एक राजर्षि, इनके द्वारा युधिष्टिरको प्रश्नरूपमें
___ गोधनसम्पन्न कुलमें जन्म पाता है (अनु० ६४।२५-२६)। उपदेश मिला (वन० १५६ । १६; वन० १५९ अध्याय)। पृथुदक तीर्थमें तप करके इन्होंने ब्राह्मणत्व
आसुरायण-विश्वामित्र के एक ब्रह्मवादो पुत्र ( अनु० प्रात किया था (शल्य. ३९ । ३६)। इनकी तपस्याका वर्णन (शल्य.४०।३-९) । सरस्वती नदीके आसुरि-एक प्राचीन ऋषि, जो कपिल-सांख्यदर्शनके लिये इन ऋषिका आशीर्वाद, यहाँ स्नान करनेवालेको
आचार्य एवं पञ्चशिखके गुरु थे। इन्होंने मुनियोंको ब्रह्मअश्वमेधका फल प्रात होगा, यहाँ सोसे भय न होगा ज्ञानका उपदेश दिया था (शान्ति० २१८ । १०-१४)। तथा थोड़े ही समयतक इस तीर्थके सेवनसे महान् फलकी आस्तीक-एक ऋषि, जो यायावर कुलके जरत्कारु ऋषिके प्रासि होगी (शल्य.४०। ७-८)।
पुत्र थे । इनकी माताका नाम भी जरत्कारु था (आदि.
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