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शाङ्गकोपाख्यान
( ३४६ )
शाल्व
ना
समर्पित किया था (अनु०१४ ८ के बाद दा. पाठ, अविक्षित्के पुत्र । इनके अन्य सात भाइयों के नाम हैपृष्ठ ५९१५)।
परीक्षित्, आदिराज, विराज, शबलाश्व, उच्चैःश्रवा, शाकोपाख्यान-शार्ङ्गक पक्षियोंकी कथा ( आदि.
भङ्गकार और जितारि (भादि० ९४ । ५२-५३)। अध्याय २२८ से २३२ तक)।
शाल्मलिद्वीप-सुप्रसिद्ध जम्बू आदि सात द्वीपोंमेंसे एक
(भीष्म ११ । ३)। इस द्वीपमें उस शाल्मलि शारव-एक ऋषि, जो जनमेजयके सर्पसत्रमें अध्वर्य बने थे (आदि. ५३ । ६)।
( सेमल ) वृक्षकी पूजा की जाती है, जिसके नामपर
इसका नामकरण हुआ है (भीष्म १२ । ६)। शार्दूली-क्रोधवशाकी पुत्री, जिसने सिंहों, बाघों और .
शाल्व-(१) एक क्षत्रियनरेश, जो वृषपर्वाके छोटे भाई चीतोंको जन्म दिया (आदि० ६६ । ६१, ६५)।
अजकके अंशसे उत्पन्न हुआ था (भादि०६७।१६. शालकटङ्कट-राक्षस अलम्बुषका नामान्तर (द्रोण. १०९ ।
१७)। काशिराजको पुत्री अम्बाके स्वयंवरमै भीष्मद्वारा २२-३१)। (देखिये अलम्बुष)
इसकी पराजय (आदि० १०२ । ३४-४९)। यह शालिक-एक दिव्य महर्षि, जो हस्तिनापुर जाते समय सोभ नामक विमानका अधिपति था और अम्बाने मनमार्गमें श्रीकृष्णसे मिले थे ( उद्योग० ८३। ६४ के बाद
ही-मन इसे अपना पति चुन लिया था ( आदि. दाक्षिणात्य पाठ)।
१०२ । ६१-६२)। यह द्रौपदीके स्वयंवरमें गया था शालिपिण्ड-कश्यपद्वारा कद्रके गर्भसे उत्पन्न एक नाग (आदि. १८६।१५)। युधिष्ठिरके राजसूययशमें भी (भादि० ३५।१४)।
आया था (सभा० ३४ । १)। श्रीकृष्णद्वारा इसके शालिशिरा-एक देवगन्धर्व, जो कश्यपपत्नी मुनिके गर्भसे
मारे जानेकी चर्चा (वन १२ । ३२)। इसके वधउत्पन्न हुए थे (आदि. ६५ । ४४)। ये अर्जुनके
की संक्षिप्त कथा (वन. १४ अध्याय)। इसका द्वारकाजन्मकालिक महोत्सवमें उपस्थित हुए थे (आदि० १२२।
पर आक्रमण, साम्ब, प्रद्युम्न आदिके साथ युद्ध तथा ५६)।
श्रीकृष्णद्वारा वध होनेकी विस्तृत कथा (वन० अध्याय शालिसूर्य-कुरुक्षेत्रकी सीमाके अन्तर्गत स्थित एक तीर्थ,
१५ से २२ तक)। भीष्मसे आज्ञा लेकर आयी हुई
अम्बाका इसके द्वारा परित्याग ( उद्योग. १७५ । जो शालिहोत्रका स्थान है। यहाँ स्नानसे सहस्र गोदानका
२४) । (२) व्युषिताश्वपत्नी भद्राने अपने मृत फल मिलता है (वन० ८३ । १०७)।
पतिके शवके साथ शयन करके तीन शाल्व' और चार शालिहोत्र-एक मुनि, जिनके आश्रममें व्यासजी ठहरे थे।
'मद्र' उत्पन्न किये थे (यहाँ 'शाल्व' और 'मद्र' का इनके आश्रमके पास एक सरोवर तथा पवित्र वृक्ष था।
अर्थ है उन-उन देशोंके शासक ) (आदि. १२० । वह वृक्ष सर्दी, गर्मी तथा वर्षाको अच्छी तरह सहने
३२-३६) । शाल्वदेशके लोग जरासंधके डरसे वाला था। वहाँ केवल जल पी लेनेसे भूख-प्यास दूर हो
दक्षिण दिशाको भाग गये थे। (सभा०१४। २६)। जाती थी। उस सरोवर और वृक्षका निर्माण शालिहोत्र
प्राचीनकालमें शाल्वदेशपर धुमत्सेन नामक एक धर्मात्मा मुनिने अपनी तपस्याद्वारा किया था (आदि०१५४ । १५ के क्षत्रिय नरेश शासन करते थे (जिनके पुत्र सत्यवान्का बाद दा. पाठ, पृष्ठ ४६३)। इनके आश्रममें हिडिम्बा
सावित्रीके साथ विवाह हुआ या)(वन. २९४ । के साथ पाण्डवोका आगमन । इनके द्वारा भूखसे पीड़ित
.)। कौरवसेनाके संरक्षकोंमें शाल्वदेशके योद्धाओंका हुए पाण्डवोंको भोजन-दान ( आदि०१५४ । १८ के
भी नाम आया है (उद्योग. १६० । १०२-१०३)। बाद दा० पाठ, पृष्ठ ४६४)। ये अश्वविद्याके आचार्य
शाल्व एक भारतीय जनपद है (भीष्म० ५। ३९)। थे और घोड़ोंकी जाति तथा उनके विषयकी तात्त्विक शाल्व योद्धाओंने अर्जुनपर आक्रमण किया था (भीष्मः बातें जानते थे (वन. ७१।२७)। इनका शालि
११७ । ३४-३५)। पाण्डवपक्षीय शाल्वदेशीय योद्धाओंसूर्य नामसे प्रसिद्ध एक तीर्थ है, जहाँ स्नान करनेसे ने द्रोणाचार्यपर आक्रमण किया था (द्रोण. १५४ । सहस्र गोदानका फल मिलता है ( वन. ८३ ।
१०-११)। शाल्व आदि देशोके बड़भागी मनुष्य १०७)।
सनातन धर्मको जानते हैं (कर्ण०४५। १४-१५)। शालकिनी-कुरुक्षेत्रकी सीमामें स्थित एक तीर्थ, जहाँ (३) पाण्डवपक्षका एक योद्धा, जिसे कौरवपक्षीय जाकर दशाश्वमेध तीर्थमें स्नान करनेसे मनुष्य दस भीमरथने मारा था ( यह भीमरथ धृतराष्ट्रपुत्रसे भिन्न अश्वमेध यज्ञोंका फल पाता है (वन० ८३ । १३)। था) (द्रोण० २५ । २६) । (४) एक म्लेच्छ. शाल्मलि-सोमवंशी महाराज कुरुके पौत्र तथा ( अश्ववान् ) गोंका राजा, जिसने पाण्डवोंकी विशाल सेनाका सामना
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