Book Title: Mahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Author(s): Vasudevsharan Agarwal
Publisher: Vasudevsharan Agarwal

View full book text
Previous | Next

Page 361
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir शैखावत्य ( ३५७ ) शोण धारण करने के लिये ब्रह्माजीका आश्वासन (आदि०३६। शैब्या-(१) राजा सगरकी एक पत्नी, जिनसे वंश प्रवर्तक २०)। इनकी माता कद्र और पिता कश्यप है (आदि. एक ही पुत्र उत्पन्न हुआ था। उस पुत्रका नाम असमंजस् ६५।४१)। इनके अंशसे बलरामजी अवतीर्ण हुए थे या (वन० १०६ । २० वन० १०७ । ३९)। (आदि ६७ । १५२) । भगवान् नारायण शेषको । (२) शाल्व देशके प्राचीन राजा धुमत्सेनकी रानी, शय्या बनाकर इनपर शयन करते हैं (वन.२७२ । ३८ जिन्होंने अपने पुत्र सत्यवान् और वधू सावित्रीके रातको ४०)। त्रिपुरदाइके समय ये शिवजीके रथके अक्ष बने आश्रममें न लौटनेपर पतिके साथ विभिन्न आश्रमोंमें थे (द्रोण० २०२ । ७२)। जाकर उनका पता लगाया था (वन० २५८ । २)। शैखावत्य-एक महातरस्वी प्राचीन ऋषि, जिन्होंने शाल्वसे (३) भारतवर्षकी एक प्रमुख नदी, जिसका जल यहाँके परित्यक्त हो आश्रममें आकर रोती हुई अम्बासे बातचीत निवासी पीते हैं (भीष्म ५। २४)। (४) भगवान् की थी। ये कठोर व्रत का पालन करनेवाले तपोवृद्ध ब्रह्मर्षि थे । शास्त्र और आरण्यक आदि ग्रन्योंकी शिक्षा श्रीकृष्णकी एक पटरानी, जिन्होंने श्रीकृष्णके परमधाम पधारनेपर पतिलोककी प्राप्ति के लिये अग्निमें प्रवेश किया देनेवाले सद्गुरु थे ( उद्योग० १७५ । ३०-४०)। था (मौसल. ७।७३)। शैब्य-(१) एक प्राचीन राजा ( आदि० १ । २२५)। इनके पुत्रका नाम सुञ्जय था, जिसकी पर्वत और नारद शैरीषक-एक देश, जिसे पश्चिम-दिग्विजयके समय नकुलने . जीसे मित्रता थी (द्रोण. ५५ । ५)।(२) शिबि जीता था (समा० ३२ । ६)। देशके नरेश, जो युधिष्ठिरके श्वशुर थे। इनका नाम शैलकम्पी-स्कन्दका एक सैनिक ( शल्य० ४५। ६३)। गोवासन था (आदि. ९५ । ७६)। ये युधिष्ठिरकी शैलाभ-एक सनातन विश्वेदेव ( अनु० ९१ । ३२)। सभामें विराजमान होते थे ( सभा० ४ । २५)। ये तथा काशिराज दोनों युधिष्ठिरके बड़े प्रेमी ये और उपलव्य शैलालय-एक राजा, जो भगदत्तके पितामह थे और कुरुनगरमें एक अक्षौहिणी सेनाके साथ आकर अभिमन्यके क्षेत्रके तपोवनमें तपस्या करके इन्द्रलोकमें गये थे विवाहमें सम्मिलित हुए थे (विराट ७२ । १६)। (आश्रम० २०१०)। इनको कृतवर्मा के साथ युद्ध करनेका काम दिया गया था शैलूष-एक गन्धर्व, जो कुबेरकी सभामें रहकर उनकी (उद्योग. १६४।६)। दुर्योधनने नरश्रेष्ट शैब्यकी उपासना करता है (सभा० १० । २६)। पाण्डव-सेनाके महान् धनुर्ध में गणना की थी ( भीष्मः शैलोदा-मेरु और मन्दराचलकी मध्यवर्तिनी एक नदी, २५ । ५)। ये काशिराजके साथ रहकर तीस हजार इसके तटपर बसे हुए म्लेच्छ जातियोंको अर्जुनने जीता रथियोंके द्वारा धृष्टद्युम्ननिर्मित क्रौञ्चव्यूहकी रक्षा करते थे था (सभा०२८।६ के बाद दा. पाठ, पृष्ठ ७४८)। (भीष्म०५०। ५६-५७)। ये उशीनरके पौत्र कहे इसके दोनों तटोपर बाँसोंकी छायामें रहनेवाले खस आदि गये हैं। धृतराष्ट्रद्वारा इनकी वीरताका वर्णन (द्रोण. म्लेच्छोंने राजसूय यज्ञमें युधिष्ठिरको पिपीलक नामक १० । ६४-७०)। नीलकमलके समान रंगवाले, सुवर्ण भेंट किया था (समा० ५२ । २-४)। सुवर्णमय आभूषणोंसे विभूषित, विचित्र मालाओंवाले शैवाल-एक भारतीय जनपद (भीष्म० ९ । ५४)। अश्व, विचित्र रथसे युक्त राजा शैब्यको युद्धस्थलमें ले गये थे (द्रोण० २३ । ६१)। (३) भगवान् श्रीकृष्णके शैशव-एक देश, जहाँके क्षत्रिय नरेश भेंट लेकर आये और युधिष्ठिरके राजद्वारपर खड़े थे (सभा० ५२ । १८)। रथका एक अश्व (आदि. अध्याय २१९, बन० अध्याय शोण-एक नदी, जो वरुणकी सभामें रहकर उनकी उपासना अध्याय ८, १३ द्रोण० अध्याय ७९, १४७। ५७ करती है (सभा० ९।२१)। भगवान् श्रीकृष्णने सौप्तिक. अध्याय १३, शान्ति. अध्याय ३६, १६, इन्द्रप्रस्थसे राजगृह जाते समय मार्गमें इसे पार किया था ५३)। (४) एक वृष्णिवंशीय क्षत्रिय वीर, जिसने (सभा० २० । २७ )। शोण और ज्योतिरथ्यके अर्जुनसे धनुर्वेदकी शिक्षा प्राप्त की थी। यह युधिष्ठिरकी संगममें स्नान करके पवित्र और जितेन्द्रिय पुरुष पितरोंका सभामें विराजमान होता था (समा० ४ । ३४-३५)। तर्पण करे तो उसे अग्निष्टोमयज्ञका फल प्राप्त होता है। (५) एक क्षत्रिय नरेश, जिन्हें श्रीकृष्णने पराजित किया इसका उत्पत्तिस्थान वंशगुल्मतीर्थ है । वहाँ स्नान करनेसे था ( सभा० ३८ । २९ के बाद दा० पाठ, पृष्ठ अश्वमेधयज्ञका फल प्राप्त होता है (वन० ८५। ८-९)। ८२४)। (६) एक कौरवपक्षीय प्रमुख योद्धा, जो यह अग्निकी उत्पत्तिका स्थान मानी गयी है (वन भीष्मनिर्मित सर्वतोभद्र नामक व्यूहके मुहानेपर खड़ा था २२२ । २५ ) । इसकी गणना भारतवर्षकी प्रमुख (भीष्म० ९९ । २)। नदियोंमें है (भीष्म. १। २९)। स For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414