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हेमगुह
( ४०८ )
हीमान्
भी आये थे, इसे ऋषभकूट भी कहते हैं । उन्होंने वहाँ जीवित दिखाकर यह बताया कि सद्धर्माचरणके प्रभावसे बहुत-सी अद्भुत बातें देखीं । यहाँ बिना वायुके ही बादल हमलोगोंपर मृत्युका वश नहीं चलता (वन० १८४ । ३उत्पन्न होते और ओले बरसाते थे । वेदोंके स्वाध्यायकी २२)। इस वंशमें मुदावर्त नामका एक कुलाङ्गार नरेश ध्वनि सुनायी देती, पर कोई दिखायी नहीं देता था हुआ था ( उद्योग० ७४ । १३)। ब्राह्मणोंने अपनी
इत्यादि । इसके कारणका वर्णन (वन०११०।२-१८)। कुशमयी ध्वजा फहराते हुए किसी समय हैहयवंशी हेमगुह-कश्यपवंशमें उत्पन्न एक प्रमुख नागराज ( आदि. क्षत्रियोंपर आक्रमण किया था ( उद्योग० १५६ । ४)। ३५।९)।
गुणावतीसे उत्तर और खाण्डव-वनसे दक्षिण पर्वतके हेमनेत्र-एक यक्ष, जो कबेरकी सभामें रहकर उनकी उपासना
निकटवर्ती प्रदेशमें लाखों हैहयवंशी क्षत्रिय वीर परशुरामकरता है (सभा० १०।१७)।
जीके द्वारा रणभूमिमें मारे गये थे (द्रोण ७०1८-९)।
कृतवीर्यका बलवान् पुत्र अर्जुन हैहयवंशका राजा हुआ हेममाली-द्रुपदका एक पुत्र, जो अश्वत्थामाद्वारा मारा गया
(शान्ति० ४९ । ३५)। राजा सुमित्र हैह्यवंशी नरेश था (द्रोण० १५६ । १८२)।
था (शान्ति० १२६ । ८)। (२) शर्यातिके वंशमें हेमवर्ण-राजा रोचमानके पुत्र, जो पाण्डवपक्षके योद्धा थे । उत्पन्न एक राजा, जिसके नामपर हैहयवंशकी परम्परा
इनके घोड़ोंका वर्णन (द्रोण० २३ । ६७)। प्रचलित हुई । हैहय वत्सके पुत्र थे। इनका दूसरा नाम हेमा-भारतवर्षकी एक नदी, जिसका जल यहाँके निवासी वीतहव्य था। इनके दस स्त्रियाँ थीं । उनसे सौ वीर पुत्र पीते हैं (भीष्म० ९ । २३)।
उत्पन्न हुए थे (अनु. ३० । ७-८ )। (विशेष
देखिये वीतहव्य)। हेरम्बक-एक दक्षिणभारतीय जनपद तथा वहाँके निवासी, इनको सहदेवने दक्षिण-दिग्विजयके अवसरपर परास्त किया होत्रवाहन-एक प्राचीन राजर्षि, जो युधिष्ठिरका विशेष था (सभा० ३१ । १३)।
सम्मान करते थे ( वन० २६ । २४-२५)। ये काशि
राजकी पुत्री अम्बाके नाना थे, इनका अम्बाको परशुरामहैमवत-एक वर्षका नाम, जो हिमवान् (हिमालय) से उत्तर है ( भीष्म० ६ । ७)। मेरुसे मिथिला जाते समय ।
जीके पास जानेकी सम्मति देना ( उद्योग० १७६ । २८
३४)। इन्होंने अकृतव्रणसे अम्बाका परिचय दिया था श्रीशुकदेवजीने इस वर्षको पार किया था और फिर वे ... भारतवर्ष में आये थे (शान्ति. ३२५ । १३)।
(उद्योग. १७६ । ४४-५६)। हैमवती-(१) हिमालयसे निकली हुई एक नदी। शतद'के हृदप्रवेशपर्व-शल्यपर्वका एक अवान्तर पर्व (अध्याय
लिये हैमवती' शब्दका प्रयोग हुआ है ( आदि. १७६। २९)। . ८-९)। (२) विश्वामित्रकी प्यारी पत्नी ( उद्योग० हृदोदर-एक राक्षस, जिसका स्कन्दद्वारा वध हुआ था
११७ । १३)।(३) भगवान् श्रीकृष्णकी एक पत्नी (शल्य० ४६ । ७५)। जिन्होंने पतिके दाह संस्कारके समय चितारोहण किया था हाद-एक नाग, जो बलरामजीके परमधामगमनके समय ( मौसल० ७ । ७३)।
स्वागतमें आये थे ( मौसल. ४ । १६)। औरण्यवती-हिरण्मय वर्षकी एक नदी (भीष्म ८।
ही-एक देवी, जो ब्रह्माकी सभामें रहकर उनकी उपासना शाही
,
करती हैं (सभा० ११ । ४२)। अर्जुनके इन्द्रलोक हैहय-(१)क्षत्रियोंका एक कुल, जिसका संहार परशुराम- जाते समय उनकी मङ्गल-कामनाके लिये द्रौपदीने ही
जीने किया था। कार्तवीर्य अर्जुन हैहयवंशी क्षत्रियोंका देवीका स्मरण किया था (वन० ३७ । ३३)। स्कन्द. अधिपति था, जो परशुरामजीके हाथसे मारा गया के अभिषेकमें ये भी पधारी थीं (शल्य. ४५। १३)। (सभा० ३८। २९ के बाद दा० पाठ, पृष्ठ ७९२)।
हीनिषेव-एक दैत्य या राजर्षि, जो प्राचीन कालमें पृथिवी...राजा सगरने इस वंशके क्षत्रियोंको जीता था (वन०१०६।
का शासक था; परंतु कालवश उसे छोड़कर चल बसा ८)। राजा परपुरञ्जय हैहयवंशी क्षत्रियोंकी वंश-परम्परा
(शान्ति० २२७।५१)। को बढ़ानेवाला था; इसने अनजानमें एक मुनिको बाण मार दिया । फिर कुछ हैहय उसे साथ ले मुनिवर कश्यप- हीमान्-एक सनातन विश्वेदेव ( अनु० ११ । नन्दन अरिष्टनेमाके पास गये । उन्होंने उस मुनिको ३१)।
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