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सुमित्र
सुमित्र - ( १ ) एक प्राचीन नरेश ( आदि० १ । २३६ ) । ( २ ) एक राजा, जो क्रोधवशसंज्ञक दैत्यके अंशसे उत्पन्न हुआ था (आदि० ६७ । ६३ ) | यह सौवीर देशका राजा था। इसे लोग दत्तामित्रके नामसे भी जानते थे | अर्जुनने अपने बाणोंद्वारा इसका दमन किया था ।
आदि० १३८ । २३ ) । यह युधिष्ठिरकी सभा में विराजता था ( सभा० ४ । २५) । ( ३ ) एक ऋषि जो युधिष्ठिरकी सभा में विराजते थे ( सभा० ४ । १० ) । ( ४ ) कुलिन्दनगर के शासक राजा सुमित्र, जिसका पुत्र सुकुमार था । इसे भीमसेनने पूर्व दिग्विजयके समय जीता था ( सभा० २९ । १० ) । सहदेवने भी सुमित्र और सुकुमारपर विजय पायी (सभा० ३१ । ४) । (५) तप नामधारी पाञ्चजन्यनामक अभिके पुत्र, जो यज्ञमें विघ्न डालनेवाले पंद्रह उत्तरदेव ( विनायकों) मेंसे एक हैं ( वन० २२० | १२ ) | ( ६ ) अभिमन्युका सारथि (ब्रोण० ३५ । ३ १ ) । इसकी अभिमन्यु के साथ युद्धसम्बन्धी कर्तव्यपर विचार करनेकी प्रार्थना (द्रोण० ३६ । ३-४ ) । अभिमन्युके आदेशसे इसने द्रोणाचार्यकी ओर ( चक्रव्यूहके लिये ) रथ बढ़ाया था ( द्रोण० ३६ । ९-१० ) । ( ७ ) एक हैहयवंशी नरेश, इनका एक मृगके पीछे दौड़ना ( शान्ति० १२५ । ९-१९ ) । मृगको खोजते हुए इनका ऋषियोंके आश्रमपर पहुँचना और उनसे आशाके विषय में प्रश्न करना (शान्ति० १२६ । ८-१९ ) । ऋषभका इन्हें वीरद्युम्न और तनु नामक मुनिका वृत्तान्त सुनाना ( शान्ति० १२७ अध्याय ) । ऋषभ ऋषिके उपदेशसे इनके द्वारा आशाका परित्याग ( शान्ति० १२८ । २५ ) ।
सुमित्रा - ( १ ) भगवान् श्रीकृष्णकी एक रानी ( सभा० ३८ | २९ के बाद दा० पाठ, पृष्ठ ८२० ) । ( २ ) महाराज दशरथकी एक पटरानी । लक्ष्मण और शत्रुघ्नकी माता ( वन० २७४ । ८ ) । ये भरतजीके साथ श्रीरामको लौटा लानेके लिये चित्रकूट गयी थीं ( वन० २७७१३६) । सुमीढ - महाराज सुहोत्रद्वारा ऐक्ष्वाकीके गर्भ से उत्पन्न तीन पुत्रोंमेंसे एक । इनके शेष दो भाई अजमीढ और पुरुमीढ थे ( आदि० ९४ । ३० ) ।
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सुमुख - ( १ ) कश्यप और कद्रूकी परम्परामें उत्पन्न एक प्रमुख नाग ( आदि० ३५ । १४ ) | यह ऐरावतकुलमें उत्पन्न आर्यकका पौत्र, वामनका दौहित्र और चिकुरका पुत्र था ( उद्योग० १०३ । २४-२५ ) । मातलिकन्या गुणकेशीके साथ इसके विवाहका प्रस्ताव । भगवान् विष्णुके आदेश से इन्द्रका इसे दीर्घायु बनाना । गुणकेशीसे विवाह करके इसका घरको जाना ( उद्योग० १०४ । २७-२९ ) । भगवान् विष्णुने इसे पैर के अँगूठेसे उठा कर गरुड़की छातीपर रख दिया था, तभीसे गरुड़ इसे सदा साथ लिये रहते हैं (उद्योग० १०५ । ३१ ) । ( २ ) एक राजा, जिसने राजा युधिष्ठिरके पास भेंटकी प्रमुख वस्तुएँ भेजी थीं ( सभा० ५१ । ७ के बाद
दा० पाठ) । ( ३ ) अपने वंशका विस्तार करनेवाला गरुड़का एक पुत्र ( उद्योग० १०१।२) । ( ४ ) गरुड़की प्रमुख संतानोंकी परम्परामें उत्पन्न एक पक्षी ( उद्योग० १०१ । १२ ) ।
सुमुखी - (१) कर्णके सर्पमुख बाणमें प्रविष्ट अश्वसेन नामक नागकी माता । मुखसे पुत्रकी रक्षा करनेके कारण इसे सुमुखी कहते हैं ( कर्ण० ९० । ४२) । ( २ ) अलकापुरीकी अप्सरा, जिसने अष्टावक्र के स्वागत समारोहमें कुबेर भवनमें नृत्य किया था ( अनु० १९ । ४५ ) | सुमेरु - एक पर्वत ( देखिये मेरु ) ।
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सुयजु -सम्राट् भरतके पौत्र एवं भुमन्युके पुत्र, इनकी माताका नाम 'पुष्करिणी' था ( आदि० ९४ । २४ ) । सुयज्ञा - प्रसेनजितकी पुत्री, पुरुवंशीय महाराज महाभौम
की पत्नी तथा अयुतनायकी माता ( आदि० ९५ । २० ) । सुयशा — बाहुदराजकी पुत्री, जिसके साथ अनश्वाके पुत्र
परीक्षितने विवाह किया था। इसके गर्भ से भीमसेनका जन्म हुआ (आदि० ९५ । ४१-४२ ) । सुयम- राक्षस शतशृङ्गका तीसरा पुत्र, जो अम्बरीषके सेनापति सुदेवद्वारा मारा गया था ( शान्ति० ९८ । ११ के बाद दा० पाठ ) |
सुरकृत् — विश्वामित्र के ब्रह्मवादी पुत्रोंमेंसे एक ( अनु० ४ । ५७ ) ।
सुरथ
सुरजा - एक अप्सरा, जो दक्षकन्या 'प्राधा' के गर्भसे कश्यपद्वारा उत्पन्न हुई थी ( आदि० ६५ । ५० ) । यह अर्जुनके जन्मकाल में नृत्य करने आयी थी ( आदि ० १२२ । ६३ ) ।
सुरता - एक अप्सरा, जो दक्षकन्या 'प्राधा' के गर्भसे कश्यपद्वारा उत्पन्न हुई थी ( आदि० ६५ । ५० ) । यह अर्जुनके जन्मकाल में नृत्य करने आयी थी ( आदि० १२२ । ६३ ) । सुरथ - ( १ ) एक राजा, जो क्रोधवशसंशक दैत्यके अंशसे उत्पन्न हुआ था ( आदि० ६७ । ६२) । ( २ ) एक प्राचीन नरेश, जो यमसभामें रहकर सूर्यपुत्र यमकी उपासना करते हैं (सभा० ८ । ११) । ( ३ ) एक राजा, जो शिविदेशके राजकुमार कोटिकास्य के पिता थे ( वन० २६५ । ६) । ( ४ ) त्रिगर्तदेशका एक राजा, जो जयद्रथका अनुगामी था । द्रौपदीहरणके समय इसका नकुलके साथ युद्ध और उनके द्वारा वध ( वन० २७१ । १८(२२) । (५) एक संशतक योद्धा, जिसका अर्जुनके साथ युद्ध हुआ था ( द्रोण० १८ । २० - २३) । (६) द्रुपदका पुत्र, जो अश्वत्थामाद्वारा निहत हुआ था ( द्रोण०
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पाण्डवपक्षका एक पाञ्चाल
महारथी, जो अश्वत्थामाके साथ युद्ध करते समय उसके हाथों मारा गया ( शल्य० १४ । ३७ - ४३ ) | ( ८ ) जयद्रथका पुत्र, जो दुःशलाके गर्भ से उत्पन्न हुआ था । इसने अश्वमेधीय अश्वके साथ अर्जुनके सिन्धुदेशमें पहुँचने