Book Title: Mahabharat Ki Namanukramanika Parichay Sahit
Author(s): Vasudevsharan Agarwal
Publisher: Vasudevsharan Agarwal

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Page 391
________________ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org सुनामा ( ३८७ ) सुप्रभा सुनामा-(१) राजा सुकेतुका एक पुत्र, जो द्रौपदीके गन्धर्व, जो कश्यपद्वारा प्राधाके गर्भसे उत्पन्न हुआ था स्वयंवरमें अपने पिता और भाईके साथ आया था (आदि. (आदि०६५। ४७)। (३) मयूर नामक असुरका १८५।९) । (३) उग्रसेनका पुत्र, कंसका भाई। छोटा भाई, जो राजा कालकीर्तिके रूपमें पृथ्वीपर उत्पन्न इसे श्रीकृष्ण तथा बलरामजीने मारा था ( सभा० १४।। हुआ था (आदि० ६७ । ३६-३७ )। (४) गरुड़का ३४) । यह कंसका सेनापति भी था, कंसके समान ही एक नाम (उद्योग०१०११)।(विशेष देखिये गरुड़)। बलवान् था और उसके घुड़सवारोंकी सेनाका सरदार (५) एक ऋषि, जिन्होंने इन्द्रियसंयम और मनोनिग्रह. बनाया गया था (सभा० ३८ । २९ के बाद दा. पाठ, पूर्वक भलीभाँति तपस्या करके भगवान् पुरुषोत्तमसे पृष्ठ ८०१-८०३)। (३) अपने वंशका विस्तार करने सात्वतधर्मको प्राप्त किया और इनसे वायुदेवने इस वाला गरुड़का एक पुत्र ( उद्योग. १०१।२।(४) धर्मका उपदेश ग्रहण किया (शान्ति० ३४८।२०-२२)। स्कन्दका एक सैनिक (शल्य० ४५ । ५९)। (६) भगवान् विष्णुका एक नाम (अनु० १४९।३४)। सुनीथ-(१) एक मन्त्र, जिसका दिन अथवा रातमें सुपर्वा-राजा भगदत्तका नामान्तर (द्रोण० २६ । ५२ स्मरण करनेपर सपोंसे भय नहीं होता ( आदि०५८। ५३) (विशेष देखिये भगदत्त)। २३-२६) । (२) एक महर्षि, जो इन्द्रकी सभामें सुपार्श्व-(१) एक क्षत्रिय राजा, जो कुपट नामक असुरविराजते हैं (सभा० ७।१६)।(३) दो भिन्न-भिन्न के अंशसे उत्पन्न हुआ था (आदि० ६७ । २८-२९)। प्राचीन राजा, जो यमकी सभामें रहकर सूर्य-पुत्र यमकी पाण्डवोंकी ओरसे इसे रण-निमन्त्रण भेजनेका निश्चय उपासना करते हैं (सभा०८।११, १५)। (४) हुआ था ( उद्योग०४।१४)। (२) एक देश शिशुपालका दूसरा नाम (सभा० ३९ । ११)। (विशेष जिसके राजा क्रथको भीमसेनने पूर्वदिग्विजयके समय देखिये शिशुपाल)। (५) एक जनपद और वहाँके जीता था (सभा० ३० । ७-८)। नरेश, जो यह चाहते थे कि युधिष्ठिरके अभिषेक और सुपुण्या-भारतवर्षकी एक प्रमुख नदी, जिसका जल यहाँके श्रीकृष्णकी अग्रपूजाके कार्यमें बाधा पड़ जाय (सभा० निवासी पीते हैं (भीष्म० ९ । ३६)। ३९ । १४-१५)। (६) एक वृष्णिवंशी कुमार, सुप्रजा-भानु नामक अग्निकी दो पत्नियोंमेंसे एक । दूसरीका जिसे प्रद्युम्नद्वारा धनुर्वेदकी शिक्षा प्राप्त हुई थी (वन. नाम बृहद्भासा था । इन दोनोंने छः पुत्रोंको जन्म दिया । १८३ । २८)। ____ था (वन० २२१ । ९)। सुनीथा-मृत्युकी मानसी कन्या, जो अपने रूप और गुणके सुप्रतर्दन-एक प्राचीन नरेश, जो अर्जुन और कृपाचार्यका लिये तीनों लोकोंमें विख्यात थी। इसीने ( राजर्षि अङ्गके युद्ध देखनेके लिये इन्द्र के विमानमें बैठकर आये थे द्वारा) वेनको जन्म दिया था (शान्ति० ५९ । ९३)। (विराट० ५६ । ९-१०)। सुनेत्र-(१) सोमवंशी महाराज कुरुके वंशज धृतराष्ट्रके सुप्रतिम-एक प्राचीन नरेश, जिनकी गणना संजयने प्राचीन बारह पुत्रों से एक, जो लोकविख्यात था (आदि० नरेशीमें की है (आदि. १ । २३५)। ९४ । ५९-६०)। (२) अपने वंशका विस्तार करनेवाला सुप्रतिष्ठा-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका ( शल्य. गरुड़का एक पुत्र (उद्योग. १०१२)। ४६ । २९)। सुन्द-निकुम्भ दैत्यका पुत्र और उपसुन्दका भाई । ये दोनों सुप्रतीक-(१) एक प्राचीन नरेश (आदि० १।२३५)। भाई भयङ्कर और क्रूर हृदयके थे (आदि० २०८।२-३)। (२) एक महर्षि, जो विभावसुके भाई और बड़े तपस्वी इन दोनों भाइयोंके पारस्परिक प्रेमका वर्णन (आदि० २०८। थे। ये भाईसे धन बाँटनेका आग्रह करते थे। इन्हें भाईसे ४-६) । त्रिभुवनपर विजय पानेके लिये विन्ध्यपर्वतपर हाथीकी योनिमें जन्म लेनेका शाप प्राप्त होना तथा इनका इन दोनोंकी उग्र तपस्या (आदि० २०८।७)। इनकी भी भाईको कछुआ होनेका शाप देना (आदि० २९।१६तपस्या देवताका विघ्न डालना (आदि० २०८1११)। २४)।(३) एक दिग्गज, जिसके वंशमें नागराज ऐरावत, इन दोनोंको अपने भाईके अतिरिक्त किसी दूसरेसे न मरने- वामन, कुमुद और अञ्जनकी उत्पत्ति हुई है (उद्योग का ब्रह्माजीद्वारा वरदान (आदि० २०८ । २४-२५)। ९९ । १५) । इसके अप्रमेय रूपका विशेष वर्णन त्रिभुवनमें इन दोनोंके अत्याचार ( आदि० २०९ (भीष्म० १२१३३-३५)।(४) भगदत्तके गजराजअध्याय)। तिलोत्तमाके कारण इन दोनों भाइयोंकी एक का नाम । इसका अद्भुत पराक्रम (भीष्म०९५ । २४दूसरेके हाथसे गदा-युद्धमें मृत्यु (आदि० २११ । १९)। ८६, द्रोण. २६ । १९-६८)। अर्जुनद्वारा इसका सुन्दरिका-एक तीर्थ, जहाँ जानेसे मनुष्य सुन्दर रूपका भागी वध (द्रोण० २९ । ४३)। होता है । सुन्दरिकाकुण्डमें स्नान करनेसे रूप और तेजकी सप्रभा-(१) भगवान् श्रीकृष्णकी एक पटरानी। द्वारकामें प्राति होती है (वन० ८४ । ५६, अनु० २५ । २१)। इनके रहनेके लिये पद्मकूट नामक प्रासाद प्राप्त हुआ सुपर्ण-(१) एक देवगन्धर्व, जो कश्यपकी पत्नी मुनिका था। इसका विशेष वर्णन ( सभा० ३८ । २९ के बाद पुत्र था ( आदि० ६५ । ४२)। (२) एक देव- दा. पाठ, पृष्ठ ८१५)। (२) पुष्करमें बहनेवाली For Private And Personal Use Only

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