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महातेजा
( २४९ )
महाशिरा
महातेजा-स्कन्दका एक सैनिक ( शल्य० ४५। ७०)। महाबाहु-(१) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रोंसे एक (आदि. महादेव-भगवान् शिवका एक नाम (उद्योग १४८ ६७ । ९०)। भीमसेनद्वारा इसका वध (दोण. १५७ । ४)। ( देखिये शिव)
१९)। (२) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रोंमें एक (आदि. महाद्युति-एक प्राचीन नरेश ( आदि० ।। २३२ )।
६७ । १०५)।
महाभय-अधर्मकी स्त्री नितिके गर्भसे उत्पन्न तीन महान्-(१) पूरुवंशी राजा मतिनारके पुत्र (आदि.
नैर्ऋत नामवाले राक्षसोंमेंसे एक । शेष दोके नाम भय ९४ । १४)। (२) प्रजापति भरत नामक अग्निके पुत्र
और मृत्यु हैं (आदि० ६६ । ५४-५५)। पावक, जो अत्यन्त महनीय (पूज्य ) होनेके कारण महान् कहलाते हैं (वन० २१९ । ८)।
महाभिष-इक्ष्वाकुवंशमें उत्पन्न एक प्राचीन राजा, जो
सत्यवादी और सत्यपराक्रमी थे ( आदि० ९६।१)। महानदी-(१) उत्कल प्रदेश (उड़ीसा) में बहनेवाली
इन्होंने सहस्र अश्वमेध एवं सौ राजसूय यशोद्वारा इन्द्रको एक प्रसिद्ध नदी, जहाँ अर्जुन गये थे (आदि० २१४ ।
संतुष्ट करके स्वर्गलोक प्राप्त किया था (आदि० ९६ । ७)। महानदीमें स्नान करके जो देवताओं और पितरोंका तर्पण करता है, वह अक्षय लोकोंको प्राप्त होता और अपने
२)। ब्रह्माजीको सभामें बैठे हुए महाभिषको गङ्गाके
अनावृत शरीरकी ओर देखनेके कारण ब्रह्माजीका शाप कुलका उद्धार कर देता है (वन० ८४ । ८४)। (२) शाकद्वीपकी एक नदी (भीष्म । ३२)।
प्राप्त हुआ (आदि० ९६ । ४-७)। इन्होंने मर्त्य
लोकमें राजा प्रतीपको ही अपना पिता बनानेके योग्य चुना महानन्दा-एक तीर्थ, जिसका सेवन करनेवाले पुरुषकी
(आदि. ९६ । ९)। ये ही प्रतीपके यहाँ 'शान्तनु' स्वर्गस्थ नन्दनवनमें अप्सराएँ सेवा करती हैं (अनु०
रूपमें उत्पन्न हुए ( आदि० ९७ । १७ के बाद दा. पाठ २५ । ४५)।
और १९ श्लोकतक)। महापगा-भारतकी एक मुख्य नदी, जिसका जल यहाँके
महाभौम-पूरुवंशी महाराज अरिहके पुत्र । इनके द्वारा निवासी पीते हैं (भीष्म०९।२८)।
सुयशाके गर्भसे अयुतनायीका जन्म हुआ था (आदि. महापा-घटोत्कचके साथी राक्षसकी सवारीमें आया हुआ ९५। १९-२०)। गजराज (भीष्म०६४।५७)। यह एक दिग्गज है
महामती-महर्षि अङ्गिराकी सातवीं पुत्री ( प्रतिपयुक्त (द्रोण० १२१ । २५-२६)।
अमावास्या)(वन० २१८।७)। महापमपुर-गङ्गाके दक्षिण तटपर स्थित एक नगर महामख-जयद्रथकी सेनाका एक योद्धा, जो द्रौपदीहरणके (शान्ति० ३५३।१)।
समय युद्ध में नकुलके द्वारा मारा गया (वन० २७१ । महापारिषदेश्वर-स्कन्दका एक सैनिक ( शल्य०१६-१७)। ४५। ६६)।
महायशा-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका (शल्य०४६ । महापार्श्व-कैलासपर्वतपर महादेवजीके पूर्वोत्तर भागमें स्थित २८)। एक पर्वत ( अनु० १९ । २१)।
महारव-एक यदुवंशी क्षत्रिय, जो रैवतक पर्वतपर होनेवाले महापुमान्-मोदाकी वर्षसे आगे एक पर्वत (भीष्म
उत्सवमें सम्मिलित था (आदि० २१८ ।")। ११।२६)।
महारौद्र-घटोत्कचका साथी एक राक्षस, जो दुर्योधनद्वारा महापुर-एक तीर्थ, जहाँ स्नानकर तीन राततक पवित्रता- __मारा गया था (भीष्म० ९१ । २०-२१)।
पूर्वक उपवास करनेसे मनुष्य चराचर प्राणियों तथा महालय-एक तीर्थ, जहाँ छठे समयतक उपवासपूर्वक एक मनुष्योंसे प्राप्त होनेवाले भयको त्याग देता है (अनु०
मासतक निवास करनेसे मनुष्य सब पापोंसे मुक्त हो सुवर्ण२५ । २६)।
राशि पाता तथा आगे-पीछेकी दस-दस पीढ़ियोंका उद्धार महाप्रस्थानिकपर्व-महाभारतका एक प्रधान पर्व ।
कर देता है (वन० ८४ । ५४-५५)। महाबल-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य०४५। ७१)। महावीर-एक प्राचीन क्षत्रिय राजा, जो क्रोधवशसंशक महाबला (प्रथम)-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका दैत्यके अंशसे उत्पन्न हुआ था (आदि० ६७ । ६६)। (शल्य० ४६ । ९)।
महावेगा-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका (शल्य०४३।१६)। महाबला (द्वितीय)-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका महाशिरा-एक प्राचीन ऋषि, जो युधिष्ठिरकी सभामें (शल्य.४६ । २६)।
विराजते थे (सभा०४।१०)। म. ना० ३२--
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