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महाशोण
( २५० )
महौजा
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महाशोण-शोणभद्र नामक नद, जिसे पार करके श्रीकृष्ण, महिष्मती-महर्षि अङ्गिराकी छठी पुत्री । इसका दूसरा नाम
अर्जुन और भीमसेन मगधर्म पहुँचे थे (सभा० २०। 'अनुमति' भी है (वन० २१८ । ६)। २७)।
मही-एक नदी, जो अग्निकी उत्पत्ति-स्थान बतायी गयी है महाश्रम-एक तीर्थ, जो सब पापोंसे छुड़ानेवाला है । जो वहाँ (वन० २२२ । २३-२६)।
एक समय उपवास करके एक रात निवास करता है, महेन्द्र-एक पर्वत, यहाँ परशुरामजीका निवास था । उसे शुभ लोकोंकी प्राप्ति होती है (वन०८४ । ५३. क्षत्रिय-संहार करके उन्होंने यहाँ तपस्या की थी (आदि. ५४)। यहाँ एक मासतक उपवास करनेपर मनुष्य ६४।४, आदि० १२९ । ५३)। पाण्डुपुत्र अर्जुन उतने ही समयमें सिद्ध हो जाता है (अनु० २५।। यहाँ गये थे (आदि० २१४।१३) । यह कुबेरकी १७-१८)।
सभामें रहकर उनकी उपासना करता है (सभा०१०। महाश्व-एक प्राचीन राजा, जो यमकी सभामें रहकर सूर्य- ३०) । इस पर्वतपर जाकर रामतीर्थमे स्नान करनेसे
पुत्र यमको उपासना करता है ( सभा० ८ । १९)।। अश्वमेध यज्ञका फल मिलता है (वन० ८५ । १६)। महासेन-स्कन्दका दूसरा नाम ( बन० २२५ । २७
यहाँ पूर्वकालमें ब्रह्माजीने यश किया था । यह पूर्व दिशामें शल्य.४६।६०)। ये ब्रह्माजीकी सभामें रहकर
स्थित है (वन० ८७ । २२-२८)। युधिष्ठिर तीर्थयात्रा उनकी उपासना करते हैं (सभा० ११ ५२)।
करते हुए इस पर्वतपर गये थे (वन० ११४ । ३०)।
चतुर्दशी तिथिको परशुरामजीने महेन्द्रपर्वतपर पधारकर महास्वना-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका ( शल्य. ४६ ।
युधिष्ठिर आदिको दर्शन दिया था (वन० ११७। १६)।
भारतवर्षके सात कुलपर्वतोंमेंसे एक महेन्द्र पर्वत है महाहनु-तक्षककुलमें उत्पन्न हुआ एक नाग, जो जनमेजयके
(भीष्म. ९।११)। सम्पूर्ण पृथ्वी कश्यपजीको देकर सर्पसत्रमें जल मरा था (आदि०५७।१०)।
उनकी आज्ञासे परशुरामजी महेन्द्र पर्वतपर रहने लगे महाहद-एक उत्तम तीर्थ, जिसमें स्नान करनेवाला मानव
(द्रोण. ७० । २२-२३॥ वन. ११७ । १४)। कभी दुर्गतिमें नहीं पड़ता और प्रचुर सुवर्णराशि प्राप्त
महेन्द्रा-भारतकी एक प्रमुख नदी, जिसका जल यहाँके कर लेता है (वन० ८४ | १४४-१४५)। जो महाह्रदमें
निवासी पीते हैं (भीष्म. ९ । २२)। स्नान करके शुद्धचित्त हो एक मासतक निराहार रहता है, उसे जमदग्निके समान सद्गति प्राप्त होती है (अनु.
महेश्वर-भगवान् शिवका एक नाम ( उद्योग २५ । ४८)।
महोत्थ-एक पश्चिम भारतीय जनपद, जिसके अधिपति राजर्षि महिष या महिषासुर-एक असुर, जिसने देवताओंको
__ आक्रोशको नकुलने जीता था (सभा० ३२ । ६)। परास्त करके रुद्रके रथपर आक्रमण किया था (वन० २३१ । ८५)। स्कन्दद्वारा इसका वध (वन० २३१। महादर-( १ ) कश्यपद्वारा कद्रूक गभर
महोदर-(१) कश्यपद्वारा कद्रूके गर्भसे उत्पन्न एक नाग ९६ शल्य. ४६।७४)। इसे भगवान् महेश्वरद्वारा
(आदि० ३५ । १६)। (२) धृतराष्ट्र के सौ पुत्रोंमेंसे वर प्राप्त होनेकी चर्चा ( अनु० १४ । २१४)।
एक (आदि०६७ । ९८)। भीमसेनद्वारा इसका वध
(द्रोण. १५७ । १९) । (३) एक प्राचीन ऋषि, महिषक ( माहिषक )-(१) एक दक्षिण भारतीय
जिनकी जाँधमें श्रीरामजीद्वारा मारे गये एक राक्षसका मस्तक जनपद (वर्तमान मैसूर राज्य) (भीष्म ९ । ५९)।
चिपक गया था, जो औशनस तीर्थमें छूटा । इसी कारण माहिषक आदि देशोंके धर्म-आचार-व्यवहार दूषित है
उस तीर्थका नाम 'कपालमोचन' हुआ (शल्य. ३९ । (कर्ण०४४। ४३)। (२) एक जाति, जो पहले
११-२२)। क्षत्रिय थी, किंतु ब्राह्मणोंकी कृपादृष्टि प्राप्त न होनेसे
महोदर्य-सायं-प्रातः स्मरण करनेयोग्य एक नरेश (अनु. शूद्र हो गयी (अनु. ३३ । २२-२३) । अर्जुनने
१६५ । ५२)। अश्वमेधीय अश्वकी रक्षा करते समय इन सबको जीता
महौजा-(१) एक क्षत्रिय-नरेश, जो पाँचवें कालेयके था ( आश्व० ८३ ।)।
अंशसे उत्पन्न हुए थे (आदि० ६७ । ५२)। इनको महिषदा-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका (शल्य. ४६।
पाण्डवोंकी ओरसे रण-निमन्त्रण भेजनेका निश्चय किया गया २८)।
था (उद्योग. ४ । २२)। (२) एक क्षत्रियकुल, महिषानना-स्कन्दकी अनुचरी एक मातृका (शल्य० ४६ । जिसमें वरयु' नामक कुलानार राजा उत्पन्न हुआ था २५)।
(उद्योग०७४ । १५)।
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