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चित्रवर्मा
चित्रसेना
के अवसरपर इन्द्रसभामें नृत्य किया था (वन० किया था, उसका वर्णन पीछे किया गया है।) (२) ९। ३४ )।
पूरुवंशीय राजा अविक्षिके पौत्र तथा परीक्षित्के तृतीय चित्रवर्मा-( १ ) धृतराष्ट्रके सौ पुत्रों से एक पुत्र (आदि. ९४ । ५४)। (३) एक गन्धर्व, जो (आदि०६७। ९७, आदि. १६६।६)। भीमसेन
सत्ताईस सहायक गन्धर्वो और अप्सराओंके साथ युधिष्ठिरकी द्वारा इसका वध (द्रोण. १३६ । २०-२२)। (२)
सभामें उपस्थित हो उनका मनोरञ्जन करते थे (सभा. एक पाञ्चाल राजकुमार । राजा द्रुपदने इसे युद्ध के लिये
४ । ३७)। ये कुबेरकी सभामें भी उपस्थित होते हैं
(सभा.१०।२६)। ये इन्द्रकी सभामें विराजते हैं निमन्त्रित करनेकी प्रेरणा दी थी ( उद्योग.४।१३)। चित्रकेतु, सुधन्वा, चित्ररथ और वीरकेतु-ये चार
(सभा० ७॥२२)। इनका अर्जुनको संगीत-विद्याकी इसके भाई थे । बड़े भाई वीरकेतुके मारे जानेपर शेष
शिक्षा देना (वन० ४४। ८-९)। इन्द्र के आदेशसे सभी भाई द्रोणाचार्यपर टूट पड़े और उनके द्वारा मारे
इनका उर्वशीके पास जाकर उसे अर्जुनको प्रसन्न करनेके गये (द्रोण. १२२ । ४३-४९)। यह सुचित्रका पुत्र
लिये कहना (वन० ४५।६-१३)। द्वैतवनमें कौरवोंके था (कर्ण०६ । २७-२८)।
साथ इनका युद्ध और कर्णको परास्त करना (वन.
२४१ अध्याय)। दुर्योधनको बंदी बनाना (वन० चित्रवाहन-मणिपूरके नरेश, चित्राङ्गदाके पिता (भादि.
२४२ । ६)। अर्जुनद्वारा पराजित होकर इनका अपनेको २१४ । १५)। पुत्रिका-धर्मकी शर्तपर इनके द्वारा
प्रकट कर देना (वन. २४५ । २७)। इन्द्रसे अर्जुनको अपनी कन्याका दान (आदि० २१४ । २५)।
अर्जुनकी युद्ध-कलाकी प्रशंसा करना (विराट. ६४ । चित्रवाहा-एक प्रमुख नदी, जिसका जल भारतीय जनता
३८-४३)। युधिष्ठिरके अश्वमेधयज्ञमें ये भी पधारे थे और पीती है (भीष्म० ९।१७)।
यथावसर अपने नृत्य-गीतकी कलाओद्वारा ब्राहाणोंका चित्रवेगिक-धृतराष्ट्र के कुल में उत्पन्न एक नाग, जो सर्पसत्रमें मनोरञ्जन करते थे (आश्व० ८८ । ३९-४०)। धृतराष्ट्र के दग्ध हो गया था ( आदि० ५७ । १८)।
आश्रमपर नारदजीके साथ ये भी पधारे थे (आश्रमः चित्रशरासन (शरासन या चित्रचाप)-धृतराष्ट्रके
२९ । ९)। (४) जरासंधका मन्त्री, डिम्भक सौ पुत्रों से एक (आदि. ११६ । ४)। भीमसेनद्वारा
(सभा० २२ । ३२-३३)। (देखिये-डिम्भक ) इसका वध (द्रोण० १३६ । २०-२२)।
(५) अभिसारदेशका राजा और कौरव-पक्षका एक
योद्धा । श्रुतकर्माद्वारा इसका वध ( कर्ण. १४ । १४)। चित्रशिखण्डी-पाञ्चरात्रशास्त्रके रचयिता मरीचि, अत्रि,
(६) ( श्रुतसेन )-त्रिगर्तराज सुशर्माका भाई (कर्ण० अङ्गिरा, पुलस्त्य, पुलह, क्रतु और वशिष्ठ-इन
२७ । ३-११)। (७) एक पाञ्चाल योद्धा, कर्णद्वारा सात ऋषियोंकी संज्ञा ( शान्ति० ३३५ । २७ )।
वध (कर्ण० ४८ । १५)। (८) कर्णका पुत्र, चित्रशिला-एक प्रमुख नदी, जिसका जल भारतीय प्रजा कर्णका चक्ररक्षक (कर्ण०४८।१८) । नकुलद्वारा पीती है ( भीष्म०९।३०)।
इसका वध (शल्य. १०। १९-२०)। (९) चित्रसेन ( उग्रसेन)-(१) धृतराष्ट्र के ग्यारह महारथी कर्णका भाई, युधामन्युद्वारा इसका वध (कर्ण० ८३ ।
पुत्रोंमेंसे एक ( आदि. ६३ । ११९)। यह द्रौपदीके ३९-४०)। (१०) समुद्रतटवर्ती राज्यके अधिपति स्वयंवरमें गया था (आदि. १८५। ३)। युधिष्ठिरके एक पाण्डवपक्षीय योद्धा, जो अपने पुत्रके साथ युद्धभूमिमें साथ जुआ खेलनेको उद्यत हुए लोगोंमें यह भी था समुद्रसेनके द्वारा मारा गया (कर्णः ६ । १५-१६)। (सभा० ५८ । १३)। इसका चेकितानके साथ युद्ध (११) एक नाग, जो कर्ण और अर्जुनके युद्ध में अर्जुनकी (भीष्म० ११०। ८)। भीमसेनके साथ युद्ध (भीष्म विजयका समर्थक था (कर्ण० ८७ । ४३)। ११३ । २)। सुशर्माके साथ संग्राम (भीष्म. ११६ ।
चित्रसेना-(१) कुबेरकी सभामें उपस्थित हो धनदकी २७-२९)। भीमके साथ युद्ध (द्रोण०९६ । ३.)। सात्यकिके साथ युद्ध (द्रोण. ११६ । ४)। भीमसेन- .
उपासना करनेवाली एक अप्सरा (सभा० १०।१०)। द्वारा मारा गया (द्रोण. १३७ । २९-३०)। इसका
अर्जुनके इन्द्रलोकमें जानेपर इसने नृत्य किया था शतानीकके साथ युद्ध और शतानीकद्वारा इसकी पराजयका
(वन० ४३ । ३०)। (२) एक प्रमुख नदी, जिसका वर्णन (द्रोण० १६८ ॥ १-१२)। ( यह युद्ध चित्रसेनके जल भारतीय प्रजा पीती है (भीष्म० ९।१७)। जीवनकालका है। अध्याय १३७ में इसके वधका वर्णन (३) स्कन्दकी अनुचरी मातृका ( शल्य० ४६ । हआ है। इससे पहले जो इन्होंने शतानीकके साथ युद्ध
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