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जवन
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है । वादके समान इसमें भी प्रतिज्ञा, हेतु आदि पाँच अत्रयव होते हैं ( सभा० ३६ । ३ ) । जवन - स्कन्दका एक सैनिक ( शल्य० ४५ । ७५ ) । जह्न - महाराज अजमीढ़ के द्वारा केशिनी के गर्भ से उत्पन्न एक राजा, उनके वंशज कुशिक नामसे प्रसिद्ध हुए ( आदि० ९४ । ३२-३३) । इनकी वंशपरम्पराका वर्णन (शान्ति ० ४९ । ३—६ ) । गङ्गाजी इनकी पुत्री - भावको प्राप्त हुई ( अनु० ४ । ३ ) ।
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जागुड़ एक देश, भारतका एक जनपद, जहाँके राजा युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञमें आये थे ( वन० ५१ । २५ ) । जाङ्गल - एक भारतीय जनपद ( भीष्म० ९ । ५६ ) । जाजलि - एक प्राचीन ऋषि, जिन्होंने घोर तपस्या की थी ( शान्ति ० २६१ । ३३ - ३७ ) । इनके सिरपर पक्षियोंका अंडा देना ( शान्ति० २६१ । २३-२४ ) । मनमें सिद्ध होनेका अहङ्कार आनेपर आकाशवाणीद्वारा इन्हें तुलाधारके पास जानेका आदेश ( शान्ति ० २६१ । ४२-४३ ) । इनका तुलाधारके पास जाना और धर्मोपदेश सुनना ( शान्ति अध्याय २६२ से २६३ तक ) । इन्हें पक्षियोंका उपदेश ( शान्ति० २६४ | ६-१९)। इनका तुलाधार के साथ परमधामगमन ( शान्ति० २६४ । २०-२१ )। जाठर-स्कन्दका एक सैनिक ( शल्य० ४५ | ६२ ) । जातिस्मर - एक तीर्थ, जहाँ स्नान करके मनुष्यके शरीर एवं
मनकी शुद्धि हो जाती है ( वन० ८४ । १२८ ) । जातिस्मर कीट एक कीड़ा, जिसे शुभ कर्मके प्रभावसे
अपने पूर्वजन्मों की बातोंका स्मरण बना रहा । व्यासजी की कृपासे उसकी क्रमशः उन्नति और उद्धार ( अनु० ११७ अध्याय से ११९ अध्यायतक ) ।
जातूकर्ण - एक जितेन्द्रिय मुनि, जो युधिष्ठिरकी सभा में विराजते थे ( सभा० ४ । १४ ) ।
जारूथी
जानुजङ्घ- सायं प्राप्तः स्मरण करने योग्य एक पुण्यात्मा नरेश (अनु० १६५ । ५९ ) ।
जावक - एक गायत्री - जपपरायण ब्राह्मण । जापकमें दोष आनेके कारण उसे नरककी प्राप्ति ( शान्ति० १९७ अध्याय ) । परमधामके अधिकारी जापकके लिये देवलोक भी नरकतुल्य है ( शान्ति० १९८ अध्याय ) | जापकको सावित्रीका वरदान — उसके पास धर्म, यम और काल आदिका आगमन । राजा इक्ष्वाकु और जापक ब्राह्मणका संवाद | सत्यकी महिमा तथा जापककी परम गतिका वर्णन ( शान्ति० १९९ अध्याय ) । जापक ब्राह्मण और राजा इक्ष्वाकुके उत्तम गतिका वर्णन तथा जापकको मिलनेवाले फलकी उत्कृष्टता ( शान्ति० २०० अध्याय ) ।
जाबालि - विश्वामित्र के ब्रह्मवादी पुत्रोंमेंसे एक ( अनु० ४ । ५५ ) ।
जाम्बवती -ऋक्षराज जाम्बवान्की पुत्री और भगवान्
श्रीकृष्णकी पत्नी ( सभा० ३८ । दा० पाठ, पृष्ठ ८१५ ) । श्रीकृष्ण से पुत्र प्राप्ति के लिये इनकी प्रार्थना ( अनु० १४ । ३०-३४ ) । श्रीकृष्णकी तपस्या- यात्रा के लिये इनकी मङ्गल-कामना ( अनु० १४ । ३६ -४० ) | श्रीकृष्णके परमधाम पधारनेपर ये पतिलोककी प्राप्तिके लिये अग्निमें समा गयी थीं (मौसल ० ० । ७३ )।
जानकि- एक क्षत्रिय राजा, जो चन्द्रविनाशन असुरके अंशसे उत्पन्न हुआ था ( आदि० ६७ । ३९ ) । पाण्डवोंकी ओरसे इसे रण-निमन्त्रण भेजा गया था ( उद्योग ० ४ । २० )।
जानपदी - एक अप्सरा, जो इन्द्रकी आज्ञासे शरद्वान्की तपस्यामें विघ्न डालनेके लिये आयी थी (आदि० १२९ । ६) । इसके दर्शन से स्खलित हुए शरद्वान्के वीर्य कृप एवं कृपीका जन्म ( आदि० १२९ । ११ - २० ) ।
जातिस्मरहद - एक तीर्थ, जिसमें स्नान करनेवाला मनुष्य पूर्वजन्मकी चातोंको स्मरण करनेकी शक्ति पा लेता है। ( चन० ८५ । ३ ) ।
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जाम्बवान् ऋक्षराज, सुग्रीवके मन्त्री (वन० २८० । २३) । ये दस खरब काले रीछोंकी सेना लेकर भगवान् श्रीरामके पास आये थे ( वन० २८३ । ८ ) ।
जाम्बूनद - (१) पूरुवंशी महाराज कुरुके पौत्र एवं
जनमेजयके पाँचवें पुत्र ( आदि० ९४ । ५६ ) | ( २ ) एक सुवर्णमय पर्वत ( मेरु ), जहाँसे गङ्गाजीका कल-कल नाद लोमशजीको सुनायी दिया था ( वन० १३९ । १६ ) । (३) उशीरवीज नामक स्थानमें स्थित एक पवित्र सुवर्णमय पर्वत, जहाँ राजा मरुत्तने यज्ञ किया था (उद्योग० १११ । २३) । ( ४ ) जम्बूद्वीपकी जम्बूनदीसे उत्पन्न सुवर्ण ( भीष्म ० ७ | २६ ) । जाम्बूनदी - एक प्रमुख नदी, जिसका जल भारतीय प्रजा पीती है ( भीष्म० ९ । ३० ) ।
जायाशब्दकी निरुक्ति-पुरुषका अपना आत्मा ही संतानरूपमें स्त्रीके गर्भ से जन्म लेता है ( वन० १२ । ७० ' ) । जारुधि - एक प्राचीन देश ( सभा० ३८ । ३९ के बाद दाक्षि० पाठ ) ।
जारूथी - एक स्थान या नगर, जहाँ श्रीकृष्णने आहुति, क्राथ, साथियों सहित शिशुपाल, जरासंध, शैव्य और शतधन्वाको परास्त किया था ( वन० १२ । ३० ) ।
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