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प्राकृत
( २११ )
प्लक्षजाता
असुरेन्द्र, दैतेय, दैत्य, दैत्यपति, दैत्येन्द्र, दानव आदि। प्रातर-कौरव्य-कुलमें उत्पन्न एक नाग, जो जनमेजयके (२) बाह्रीकवंशीय एक क्षत्रिय राजा, जो शलभ सर्पसत्रमें दग्ध हो गया (आदि. ५७ । १३)। नामक दैत्यके अंशसे उत्पन्न हुआ था (आदि. ६७ । प्रातिकामी-दुर्योधनका सारथि ( सभा०६७ । २-३)। ३०-३१)। (३) एक नाग, जो वरुणसभामें उपस्थित इसका द्रौपदीको कौरव-सभामें बुलानेके लिये जाना हो वरुणकी उपासना करता है (सभा०९।१०)। (सभा. ६७।४)। द्रौपदीके साथ इसका संवाद
(४)एक भारतीय जनपद (भीष्म० ९ । ४६)। और उनकी कही हुई बातको सभामें आकर कहना प्राकृत-एक यज्ञ, जो बारह दिनोंमें सम्पन्न होता है (वन० (सभा०६७ । ४-१७)। इसके मारे जानेकी चर्चा १३४ । १९)।
(शल्य० ३३ । ४९)। प्राक्कोसल-पूर्वकोसल देश, जो दक्षिण भारतमें पड़ता है। प्राधा-दक्ष प्रजापतिकी पुत्री, एवं कश्यपकी पत्नी । अनइसे सहदेवने जीता था (सभा० ३१ । १३)।
वद्या आदि आठ कन्याएँ और दस देवगन्धर्व भी इन्हींकी प्राग्ज्योतिषपुर-एक प्राचीन नगर, जो भौमासुर ( नरका
संतानें हैं। ये हाहा, हूहू, तुम्बुरु और असिबाहु नामक सुर)की राजधानी था (सभा० ३८ । २९ के बाद
चार श्रेष्ठ गन्धर्वो तथा अलम्बुषा आदि तेरह कन्याओं-अप्सदाक्षिणात्य पाठ, पृष्ठ ८०७)। भौमासुरके बाद यहाँके
राओंकी जननी हैं (आदि०६५। १२, ४५-५१)। प्रधान राजा भगदत्त हुए थे ( सभा० २६ । ७-८)। प्राप्ति-(१) धर्मपुत्र शमको भार्या ( आदि. ६६ । यह असुरोंका एक अजेय दुर्ग था । पूर्वकालमें यहीं नरका- ३३) । (२) जरासंधकी पुत्री । कंसकी पत्नी और सहसुर निवास करता था (उद्योग. ४८। ८०)। देवकी छोटी बहिन । इसकी दूसरी बहिनका नाम अस्ति भगदत्तके बाद यहाँके राजा वज्रदत्त हुए (आश्व. था, वह भी कसकी ही पत्नी थी (सभा. १४ । ३०७५१)।
३१)। प्राङनदी-यहाँ जानेसे द्विज कृतार्थ हो इन्द्रलोकमें जाता है।
प्रावरक (प्रावार)-क्रौञ्चद्वीपका एक देश ( भीष्म (वन.८४ । १५९)।
१२ । २२)। प्राचिन्वान-महाराज पुरके पौत्र एवं जनमेजयके पुत्र। प्रावारकर्ण-हिमालयनिवासी चिरंजीवी एक उलूक (वन० इनकी माताका नाम अनन्ता था । इन्होंने उदयाचल- १९९।४)। से लेकर सारी प्राची दिशाको एक ही दिनमें जीत लिया प्रावषय-एक भारतीय जनपद (भीष्म० ५। ५०)। था, इसीलिये इनका नाम प्राचिन्वान् हुआ। इनके द्वारा अश्मकीके गर्भसे संयातिका जन्म हुआ (आदि०९५।
प्रियक-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य. ४५ । ६५)। १२-१३)।
प्रियदर्शन-स्कन्दका एक सैनिक (शल्य० ४५ । ५९)। प्राचीनबर्हि-अत्रि-कुलमें उत्पन्न एक ऐश्वर्यशाली नरेश, प्रियभृत्य-एक प्राचीन राजा ( आदि० १ । २३६)।
जो दस प्रचेताओंके पिता थे (शान्ति० २०८ । ६)। प्रियमाल्यानुलेपन-स्कन्दका एक सैनिक ( शल्य ४५ । ये मनुवंशी हविर्धामाके पुत्र थे। इनसे दस प्रचेता हुए ६.)। (अनु० १४७ । २४-२५)।।
प्रेक्षागृह-उत्सव या नाटक आदिको सुविधापूर्वक देखनेके प्राचेतस-दक्षप्रजापति, दस प्रचेताओंद्वारा वाक्षी या मारिषा- लिये बनाया गया भवन । राजकुमारोंके अस्त्रकौशलके के गर्भसे उत्पन्न ( भादि. ७५। ५)। ( देखिये प्रदर्शनके समय इसे द्रोणाचार्यने शिल्पियोद्वारा बनवाया था
(आदि. १३३ । ११)। इस दिव्यभवनमें गान्धारी, प्राच्य-एक भारतीय जनपद (भीष्म०९। ५८)। कुन्ती आदि राजरानियोंका अस्त्रकौशल देखनेके लिये आगप्राजापत्य-एक प्रकारका विवाह । वर और कन्या दोनों मन (आदि. १३३ । १५)। वहाँ राजकुमारोंका अस्त्र
साथ रहकर धर्माचरण करें, इस बुद्धिसे कन्यादान करना काशल-प्रदर्शन (आदि० अध्याय १३३ से १३५ तक)। प्राजापत्य विवाह माना गया है (आदि० ७३ । ८)। प्रोषक-एक पश्चिम भारतीय जनपद (भीष्म० ९ । ६९)। प्राण-सोम नामक वसुके द्वारा मनोहराके गर्भसे उत्पन्न । प्रोष्ठ-एक भारतीय जनपद (भीष्म०९।६१)। ये वचोके छोटे भाई थे। इनके दो भाई और थे--- प्लक्षजाता-प्लक्ष (पाकर ) की जड़से प्रकट हुई सरस्वती । शिशिर एवं रमण (आदि. ६६ । २१)।
गङ्गाकी सात धाराओंमेंसे एक । इनका जल पीनेसे मनुष्यके प्राणक-प्राण नामक अग्निके पुत्र (वन० २२० । १)। पाप तत्काल नष्ट हो जाते हैं ( आदि० १६९ । २०-२१)।
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