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महाबंधे ट्ठिदिबंधाहियारे अंतोमु. आबाधा मोत्तूण जं पढमसम तं बहुगं। जं विदियसम० विसे । जं तदियसम० तं विसे । एवं विसे० विसे० जाव उक्क० सागरोवमसदस्स सागरोवमपएणारसाए सागरोवमपणुवीसाए तिरिण-सत्त भागा सत्त-सत्तभागा बे-सत्त भागा पलिदोवमस्स संखेज्जदिभागेण ऊणिया। आयुगस्स अंतोमु. आबाधा मोत्तूण जे पढमसमए० तं बहुगं । जं विदियसमए तं विसे । जं तदिय स० तं विसे । एवं विसे विसे याव उकस्सेण पुव्वकोडि ति ।।
११. बादरएइंदियाणं पज्जत्ताणं सत्तएणं कम्माणं आयुगवज्जाणं अंतोसु. आबाधा मोत्तूण जं पढम स० तं बहुगं, जं विदियस० तं विसे । जं तदियस० तं विसे । एवं विसे विसे० जाव उक्क सागरोवमस्स तिएिण-सत्त भागा सत्त-सत्त भागा बे-सत्त भागा पडिपुण्णा ति । आयुगस्स सत्तवस्ससहस्साणि सादि रेयाणि आवाधा मोत्तण जं पढमस० तं बहुगं। जं बिदियस० तं विसे० । जंतदियस० तं विसे । एवं विसे विसे जाव उक्क० पुवकोडि ति।
१२. बादरएइंदियअपज्जत्ताणं मुहुमेइंदियपज्जत्तापज्जत्ताणं च सत्तएणं कम्माणं आयुगवज्जाणं अंतोमु० बाबाधा मोत्तूण जं पढमस तं बहुगं । जं विदियस० तं मुहूर्तप्रमाण आबाधाको छोड़कर जो प्रथम समयमें कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं वे बहुत हैं। जो दूसरे समयमें कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं वे विशेषहीन हैं। जो तीसरे समयमें कर्मपरमाणु निक्षित होते हैं वे विशेषहीन हैं । इस प्रकार क्रमसे सौ सागरका, पचास सागरका और पच्चीस सागरका पल्यका संख्यातवाँ भाग कम तीन बटे सात भाग, पल्यका संख्यातवाँ भाग कम सात बटे सात भाग और पल्यका संख्यातवाँ भाग कम तीन बटे सात भाग प्रमाण उत्कृष्ट स्थितिके अंतिम समय तक विशेषहीन विशेषहीन कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं। आयुकर्मके अंतर्मुहूर्तप्रमाण आवाधाको छोड़कर जो प्रथम समयमें कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं वे बहुत हैं। जो दूसरे समयमें कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं वे विशेषहीन हैं। जो तीसरे समयमें कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं वे विशेषहीन हैं। इस प्रकार पूर्वकोटिप्रमाण उत्कृष्ट स्थितिके अंतिम समयतक विशेषहीन विशेषहीन निक्षिप्त होते हैं।
११. बादर एकेन्द्रिय पर्याप्त जीवोंके आयुके सिवा सात कमौके अंतर्मुहूर्तप्रमाण श्राबाधाको छोड़कर जो प्रथम समयमें कर्म निक्षिप्त होते हैं वे बहुत हैं। जो दूसरे समयमें कर्म निक्षिप्त होते हैं वे विशेषहीन हैं । जो तीसरे समयमें कर्म निक्षिप्त होते हैं वे विशेषहीन हैं। इस प्रकार एक सागरके तीन बटे सात भाग, सात बटे सात भाग और दो बटे सात भाग प्रमाण परिपूर्ण उत्कृष्ट स्थितिके अंतिम समयतक विशेषहीन विशेषहीन कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं। आयुकर्मके (साधिक सात हजार वर्ष प्रमाण आबाधाको छोड़कर जो प्रथम समयमें कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं वे बहुत हैं। जो दूसरे समयमें कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं वे विशेषहीन हैं। जो तीसरे समयमें कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं वे विशेषहीन हैं। इस प्रकार पूर्वकोटिप्रमाण उत्कृष्ट स्थितिके अंतिम समयतक विशेषहीन विशेषहीन कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं।
१२. बादर एकेद्रिय अपर्याप्त, सूक्ष्म एकेंद्रिय पर्याप्त और सूक्ष्म एकेंद्रिय अपर्याप्त जीवोंके आयुकर्मके सिवा सात कौंके अन्तर्मुहूर्तप्रमाण आवाधाको छोड़कर जो प्रथम समयमें कर्मपरमाणु निक्षिप्त होते हैं वे बहुत हैं। जो दूसरे समयमें कर्मपरमाणु निक्षिप्त
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