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उक्कस्ससामित्तपरूवणा छएणं कम्माणं उक्क हिदि उवसामगस्स । संजदासंजद सत्तएणं कम्माणं उक्क. हिदि० दुगदियस्स मिच्छत्ताभिमुहस्स । आयु० तप्पाओग्गविसुद्धस्स।
५३. किरणाए सत्तएणं कम्माणं उक्का द्विदि० कस्स ? तिरिक्खस्स सएिणस्स मिच्छादिहिस्स सव्वाहि पज्जत्तीहि पज्जत्तगदस्स सागारजागार० उक्कस्ससंकिलिहस्स । आयु० उक्क० हिदि० तिरिक्वस्स वा मणुसस्स वा सणिणस्स पज्जत्तस्स तप्पाओग्गसंकिलिट्ठस्स । णील-काऊणं सत्तएणं कम्माणं उक्क. हिदि. कस्स० १ अण्ण रइगस्स । आयु० किएणभंगो। तेउले सत्तएणं कम्माणं उक्का हिदि० कस्स ? अण्णद• सोधम्मीसाणंतदेवस्स । आयु० अोधिभंगो । पम्माए सत्तएणं कम्माणं उक्क हिदि० कस्स ? अएण. सहस्सारंतस्स मिच्छादिहि । आयु० तेउले भंगो । सुक्काए सत्तएणं क० उक्क हिदि० कस्स ? अएण. आणददेवस्स मिच्छादिहिस्स तप्पाओग्गसंकिलिट्ठस्स । आयु० पमत्तस्स।
५४. खइगस० सत्तएणं क. उक्क० हिदि० कस्स ? अएण• चदुगदियस्स असंजदसम्मादिहिस्स तप्पाअोग्गसंकिलिट्ठस्स। आयु. पमत्तसंज० । उपसमसम्मा० संयत जीव आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है। सूक्ष्मसाम्पराय संयत जीवों में छह कर्मोके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी उपशामक होता है। संयतासंयतोंमें सात कर्मों के उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी मिथ्यात्वके अभिमुख हुआ दो गतिका जीव होता है। आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी तत्प्रायोग्य विशुद्ध परिणामवाला संयतासंयत जीव होता है।
५३. कृष्णलेश्यामें सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है? जो तिर्यंचगतिका जीव संक्षी है, मिथ्यादृष्टि है, सब पर्याप्तियोंसे पर्याप्त है, साकार जागृत उपयोगसे उपयुक्त है और उत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाला है, वह सात कमौके उत्कृष्ट स्थिति बन्धका स्वामी है। आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? जो तिर्यंच या मनुष्य संझी है, पर्याप्त है और तत्प्रायोग्य संक्लेश परिणामवाला है, वह आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है। नील और कापोतलेश्यामें सात कमौके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है? कोई एक नारकी सात कर्मोके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है। आयकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कृष्णलेश्याके समान है। पीतलेश्यामें सात कोके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है? कोई एक सौधर्म और ऐशान कल्पतकका देव सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है। आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी अवधिज्ञानीके समान है। पनलेश्यामें सात कर्मों के उत्कृष्ट स्थितिबन्ध का स्वामी कौन है ? अन्यतर सहस्रार कल्प तकका मिथ्यादृष्टि देव सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है। आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी पीतलेश्याके समान है। शुक्ल लेश्यामें सात कोके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? अन्यतर पानत कल्पका मिथ्यदृष्टि और तत्प्रायोग्य संक्लेश परिणामवाला देव सात कमौके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है। तथा प्रमत्ससंयत जीव आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है।
५४. क्षायिकसम्यग्दृष्टियोंमें सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? जो अन्यतर चार गतिका जीव असंयतसम्यग्दृष्टि है और तत्प्रायोग्य संक्लेश परिणामवाला है, बह सात कमौके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी
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