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महाबंधे द्विदिबंधाहियारे
राणि थोवाणि । एयजीवद्गुणवड्डिहाणिट्ठाणंतरं असंखेज्जगुणं ।
४२८. सादस्स असादस्स य विद्याणियम्हि लियमा अणागारपाओग्गहाणाणि । सागरपारगडापाणि' सव्वत्थ ।
४२६. 'सादस्स चट्ठाणिययवमज्झस्स हेहदो द्वाणाणि थोवाणि । उवरिं संखेज्जगुणाणि | सादस्स तिट्ठाणिययवमज्झस्स हेहदो द्वाणाणि संखेज्जगुणाणि । Bafi द्वाणाणि संखेज्जगुणाणि । सादस्सं विद्याणिययवमज्झस्स दो एयंतसागार - पाहाणाणि संखेज्जगुणाणि । मिस्सगाणि द्वाणाणि संखेज्जगुष्णाणि । सादस्स चैव विद्याणिययवमज्झस्स उवरिं मिस्सगाणि द्वाणापि संखेज्जगुणाणि । श्रसादविद्याणिययवमज्झस्स हेट्ठदो एयंतसागारपाओग्गद्वाणाणि संखेज्जगुणाणि । मिस्सगाणि द्वाणाणि संखेज्जगुणाणि । श्रसादस्स चैव विद्याणिययवमज्झस्स उवरि मिस्सगाणि हाणाणि संखेज्जगुणाणि । एयंतसागारपात्रोग्गट्ठाणाणि जीवद्वगुणवृद्धि द्विगुणहानिस्थानान्तर स्तोक हैं और इनसे एकजीव द्विगुणवृद्धि द्विगुणहानिस्थानान्तर असंख्यातगुणा है ।
विशेषार्थ - यहाँ साताके चतुःस्थानबन्धक श्रादि एक-एकके प्रति नानागुणवृद्धि या नाना गुणहानि कितनी होती हैं और एक-एकके प्रति निषेक कितने होते हैं, यह बतलाया गया है । यहाँ एकजीवद्विगुणवृद्धि द्विगुणहानिस्थानान्तर पदसे एक गुणवृद्धि व गुणहानिके भीतर जितने निषेक होते हैं, वे लिये गये हैं और नानाजीवद्विगुणवृद्धि द्विगुणहानिस्थानान्तर पदसे कुल द्विगुणवृद्धि व द्विगुणहानियोंका प्रमाण लिया गया है। इनमेंसे किसका कितना प्रमाण है: यह मूलमें दिया ही है ।
४२८. साता और असाताके द्विस्थानिक बन्ध में अनाकार उपयोगके योग्य स्थान नियमसे हैं । तथा साकार उपयोगके योग्य स्थान सर्वत्र हैं ।
विशेषार्थ - यहाँ इन छह स्थानोंमें अनाकार उपयोगके योग्य स्थान कौन हैं और साकार उपयोगके योग्य स्थान कौन हैं, यह बतलाया गया है। वैसे तो सब स्थान साकार उपयोग योग्य हैं, पर अनाकार उपयोगके योग्य स्थान कुछ ही हैं और वे साता-साता दोनोंके द्विस्थान गत कुछ ही हैं, यह उक्त कथनका तात्पर्य है ।
४२९. साताके चतुःस्थानिक यवमध्यके नीचेके स्थान स्तोक हैं। इनसे उपरिम स्थान संख्यातगुणे हैं । इनसे साताके त्रिस्थानिक यवमध्यके नीचेके स्थान संख्यातगुणे हैं । इनसे इसीके उपरिम स्थान संख्यातगुणे हैं। इनसे साताके द्विस्थानिक यवमध्यके नीचे के सर्वथा साकार उपयोग योग्य स्थान संख्यातगुणे हैं । इनसे मिश्रस्थान संख्यातगुणे हैं । इनसे साताके ही द्विस्थानिक यवमध्यके उपरिम मिश्र स्थान संख्यातगुणे हैं । इनसे साताके द्विस्थानिक यवमध्यके नीचेके सर्वथा साकार उपयोगके योग्य स्थान संख्यातगुणे हैं । इनसे इसीके मिश्रस्थान संख्यातगुणे हैं। इनसे असाताके ही द्विस्थानिक यवमध्यके उपरिभ मिश्र स्थान संख्यातगुणे हैं । इनसे इसीके सर्वथा साकार प्रायोग्य स्थान संख्यातगुणे हैं । इनसे असाताके त्रिस्थानिक यवमध्यके नीचेके स्थान संख्यातगुणे हैं। इनसे उपरिम स्थान संख्यातगुणे हैं । इनसे श्रसाताके चतुःस्थानिक यवमध्यके नीचेके स्थान संख्यातगुणे हैं । इनसे साताका जघन्य स्थितिबन्ध संख्यातगुणा है । इससे यत्स्थितिबन्ध विशेष अधिक है। मूलप्रतौ-हायाणि सब्वद्धा । सादस्स इति पाठः । २. पासं० बन्धक० गा० १११ ।
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