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महाबंधे द्विदिबंधाहियारे १५० वादरअपज्जत्त० निरिक्खअपज्जत्तभंगो। सुहमे धुविगाणं उक्क० ओघ । अणु० जह० अंतो०, उक्क० गुलस्स असंखे०। एवं तिरिक्वगदितिगं । णवरि अणु० जह० एग । सुहुम जत्ते सव्वाणं उक्क० अणु० जह• एग०, उक० अंतो० । सुहुमअपज्जत्तेसु धुविगाणं उक्क० ओघं । अणु० जहएणु० अंतो० । सेसाणं उक्क. अणु० जह• एग०, उक्क० अंतो०।
१५१. बीइंदि-तीइंदि०-चदुरिंदि• धुविगाणं उक्क० ओघ । अणु० जह० एग०, उक्क संखेजाणि वाससहस्साणि । सेसाणं उक. अणु० जह० एग०, उक्क०
विशेषार्थ यद्यपि एकेन्द्रियोंकी कायस्थिति अनन्त काल प्रमाण है, तथापि एकेन्द्रियोंके दो भेद हैं-बादर एकेन्द्रिय और सूक्ष्म एकेन्द्रिय । इनमेंसे बादरों में पर्याप्त होने पर एकेन्द्रियोंके योग्य उत्कृष्ट स्थितिबन्ध होता है; सूक्ष्म जीवोंमें नहीं । किन्तु यहाँ एकेन्द्रिय सामान्यकी अपेक्षा अनुत्कृष्ट स्थितिबन्ध होता है और सूक्ष्म एकेन्द्रियोंका उत्कृष्ट काल असंख्यात लोकप्रमाण है,इसासे एकन्द्रियोमे ध्रवबन्धवाली प्रकृतियोक अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका उत्कृष्ट काल असंख्यात लोकप्रमाण कहा है । तथा इनमें तिर्यञ्चगति, तिर्यञ्चगत्यानुपूर्वी और नीचगोत्रका निरन्तर बन्ध अग्निकायिक और वायुकायिक जीवोंके होता है और इनकी उत्कृष्ट कायस्थिति असंख्योत लोकप्रमाण है। ओघसे इन तीन प्रकृतियोंके अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका उत्कृष्ट काल इतना ही कहा है। इसीसे यहाँ इन प्रकृतियोंके अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका उत्कृष्ट काल ओघके समान कहा है। बादर एकेन्द्रियोंकी उत्कृष्ट कायस्थिति अंगुलके असंख्यातवें भागप्रमाण है,इसलिए इनमें ध्रुवबन्धवाली प्रकृतियों के अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका उत्कृष्ट काल उक्त प्रमाण कहा है। तथा बादर अग्निकायिक और बादर वायुकायिक जीवोंकी उत्कृष्ट कायस्थिति कर्मस्थिति प्रमाण होनेसे बादर एकेन्द्रियोंमें तिर्यश्चगतित्रिकके अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका उत्कृष्ट काल कर्मस्थितिप्रमाण कहा है। क्योंकि इन प्रकृतियोंका इतने काल तक निरंतर बन्ध इन्हीं जीवोंके होता है। वादर एकेन्द्रिय पर्याप्त जीवोंकी उत्कृष्ट कायस्थिति संख्यात हजार वर्ष है,इसलिए इनमें ध्रुवबन्धवाली और तिर्यञ्चगतित्रिक के अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका उत्कृष्ट काल संख्यात हजार वर्षप्रमाण कहा है। शेष कथन स्पष्ट ही है।
१५०. एकेन्द्रिय बादर अपर्याप्तकोंमें तिर्यञ्च अपर्याप्तकोंके समान भङ्ग है। सूक्ष्म एकेन्द्रियोंमें ध्रुवबन्धवाली प्रकृतियोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका काल ओधके समान है। अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य काल अन्तर्मुहूर्त है और उत्कृष्ट काल अङ्गलके असंख्यातवें भाग प्रमाण है । इसी प्रकार तिर्यञ्चगतित्रिकका काल जानना चाहिए। इतनी विशेषता है कि इसके अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य काल एक समय है। सूक्ष्म पर्याप्त जीवोंमें सब प्रकृतियोंके उत्कृष्ट और अनुत्कष्ट स्थितिबन्धका जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । सूक्ष्म अपर्याप्तकोंमें ध्रुवबन्धवाली प्रकृतियोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका काल ओघके समान है। तथा अनुत्कष्ट स्थितिबन्धका जघन्य और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है । शेष प्रकृतियोंके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य काल एक समय है और उत्कृष्ट काल अन्तर्मुहूर्त है।
१५१. द्वीन्द्रिय, त्रीन्द्रिय और चतुरिन्द्रिय जीवों में ध्रुववन्धवाली प्रकृतियोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका काल ओघके समान है। अनुत्कृष्ट स्थितिबन्धका जघन्य काल समय है और उत्कृष्ट काल संख्यात हजार वर्ष है। शेष प्रकृतियोंके उत्कृष्ट और अनुत्कृष्ट स्थितिवन्धका
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