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जहरण-अद्धाच्छेदपरूवणा
२४३ ४७. मिच्छत्तं जह• हिदि० सागरोवमरस सत्त सत्तभागा पलिदोवमस्स असंखेजदिभागेण ऊणिया । अंतो० आवा० । आबाधृ० । बारसक० जहएण. हिदिबं० सागरोवमस्स चत्तारि सत्तभागा पलिदो० असंखेजदिभागेण ऊणिया । अंतोमु०
आवा० । आवाधू० । कोधसंज० जह० हिदि वे मासं । अंतोमु० आवा० । [आबाधृ० कम्महि० कम्मणि.] । माणसंज. जह• हिदिबं० मासं । अंतोमु० आवा० । आवाधू० । मायासंज. जह. हिदिबं• अद्धमासं। अंतोमु० आवा० । आवाधू । पुरिसवे. जह. हिदिवं. 'अट्ठ वस्साणि । अंतोमु० अावा । आबाधू ।
४८. णिरय-देवायुगस्स जह० हिदिबं० दस वस्ससहस्साणि। अंतोमु० आवा० । [कम्मछिदी कम्मणिसेगो] । तिरिक्ख-मणुस्सायुगस्स जह० हिदि. खुद्धाभवग्गहणं । अंतो० आवा० । [कम्महिदी कम्मणिसेगो] ।
४६. वेउव्वियछक्क • जह• हिदि सागरोवमसहस्सस्स बे सत्तभागा पलिदो. संखेज्जदिभागेण ऊणिया। अंतोमु० आबा० । [आबाधू० कम्महि० कम्मणि.] । आहार-आहार०अंगो-तित्थय० जह• हिदिबं० अंतोकोडाकोडी। अंतोमु. आबा० । [आबाधू० कम्महि० कम्मणि०] । जसगि०-उच्चागो० जह० हिदि.
४७. मिथ्यात्वका जघन्य स्थितिबन्ध एक सागरका पल्यका असंख्यातवाँ भाग कम सात बटे सात भाग प्रमाण है। अन्तर्मुहूर्त प्रमाण आबांधा है और आवाधासे न्यून कर्मस्थितिप्रमाण कर्मनिषेक है । बारह कषायका जघन्य स्थितिबन्ध एक सागरका पल्यका असंख्यातवाँ भाग कम चार बटे सात भाग प्रमाण है । अन्तर्मुहूर्तप्रमाण आबाधा है और आबाधासे न्यून कर्मस्थितिप्रमाण कर्मनिषेक है । क्रोध संज्वलनका जघन्य स्थितिबन्ध दो महीना है । अन्तर्मुहूर्तप्रमाण श्राबाधा है और बाबाधासे न्यून कर्मस्थितिप्रमाण कर्मनिषक है । मान संज्वलनका जघन्य स्थितिबन्ध एक महीना है। अन्तर्मुहूर्तप्रमाण आबाधा है और पाबाधासे न्यून कर्मस्थितिप्रमाण कर्मनिषेक है। माया संज्वलनका जघन्य स्थितिबन्ध आधा महीना है। अन्तर्मुहूर्तप्रमाण आबाधा है और आबाधासे न्यन कर्मस्थितिप्रमाण कर्मनिषक है। पुरुषवेदका जघन्य स्थितिबन्ध आठ वर्षप्रमाण है। अन्तर्मुहूर्तप्रमाण आबाधा है और आबाधासे न्यून कर्मस्थितिप्रमाण कर्मनिषेक है।
४८. नरकायु और देवायुका जघन्य स्थितिबन्ध दस हजार वर्ष है । अन्तर्मुहूर्तप्रमाण आवाधा है और कर्मस्थितिप्रमाण कर्मनिषेक है। तिर्यञ्चायु और मनुष्यायुका जघन्य स्थितिबन्ध तुल्लकभवग्रहणप्रमाण है । अन्तर्मुहूर्तप्रमाण आबाधा है और कर्मस्थितिप्रमाण कर्मनिषेक है।
४९. वैक्रियिकषटकका जघन्य स्थितिबन्ध एक हजार सागरका पल्यका संख्यातवाँभाग कम दो बटे सात भाग प्रमाण है। अन्तर्मुहूर्तप्रमाण आबाधा है और श्राबाधासे न्यून कर्मस्थितिप्रमाण कर्मनिषक है। आहारकशरीर.आहारक आडोपाङ और तीर्थंकर प्रक जघन्य स्थितिबन्ध अन्तः कोड़ाकोड़ी सागर प्रमाण है । अन्तर्मुहूर्तप्रमाण आबाधा है और आबाधासेन्यून कर्मस्थितिप्रमाण कर्मनिषक है। यशःकीर्ति और उच्च गोत्रका जघन्य स्थितिबन्ध
१. मूलप्रती हिदिबं० श्रद्धवयं० अतो-इति पाठः । २. मूलप्रतौ श्राबा० श्राबाधू० वेउ-इति पाठः ।
हातका
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