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उक्कस्ससामित्त परूवणा
३७
अणद० तप्पा ओग्गविसुद्ध उक्क० | वेडव्विय० सत्तएण कम्माणं उक्क० डिदि • कस्स ? दर देवस्स वा रइगस्स उक्कस्ससंकिलिह० | आयु० उक्क ० हिदि ० ६० कस्स० १ अरगद सम्मादिहि० मिच्छादिडि० तप्पा ओग्गविसुद्धस्स । वेव्वयमि० सत्तणं कम्मारणं उक्क० हिदि० कस्स ? रणद० देवस्स वा रइयस्स वा मिच्छादिहिस्स से काले सरीरपज्जती गाहिदि त्ति । आहारका० सत्तरं कम्मा उक्क० डिदि ० कस्स ? रणद० पमत्तसंजदस्स तप्पात्रोग्गसंकिलिइस्स | आयु० [ उक्क० द्विदि० कस्स ? रणदर० ] तप्पा ओग्गविसुद्धस्स । एवं आहारमि० । वरि से काले पज्जत्ती गाहिदि त्ति भारिणदव्वं । कम्मइ ० सत्तणं कम्मा उक्क० ट्ठिदिबं० कस्स ? अगद० चदुगदियस्स पंचिंदियस्स सरिणस्स मिच्छादिस्सि सागार जागार-तप्पायोग्ग-उक्कस्ससंकिलट्ठस्स ।
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५०.
इत्थि० - पुरिस० सत्तणं कम्माणं उक्क० हिदि० कस्स ? तिगदियस्स संकिलिट्ठस्स मिच्छादिट्ठि० सागारजागार उक्क० संकि० | आयु० श्रघं । एवं एवु - सवेदे | अवगदवे सत्तरणं कम्मा० उक्क० द्विदि० कस्स० अण्णाद० उवसमबन्धका स्वामी है | आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? तत्प्रायोग्य उत्कृष्ट विशुद्धि से युक्त अन्यतर जीव श्रायुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । वैक्रियिककाययोगमें सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? उत्कृष्ट संक्लेशरूप परिणामों से युक्त अन्यतर देव या नारकी जीव सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? तत्प्रायोग्य विशुद्ध परिणामवाला अन्यतर सम्यग्दृष्टि या मिथ्यादृष्टि वैक्रियिककाययोगी जीव आयु कर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । वैक्रियिकमिश्रकाययोग में सात कमौके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? जो देव या नारकी अनन्तर समयमें शरीर पर्याप्तिको प्राप्त होगा ऐसा अन्यतर वैक्रियिकमिश्रकाययोगी जीव सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । आहारक काययोगमें सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? तत्प्रायोग्य संक्लेश परिणामवाला ग्रन्यतर प्रमत्तसंयत जीव सात कर्मों के उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । श्रायु कर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्ध का स्वामी कौन है ? तत्प्रायोग्य विशुद्ध परिणामवाला अन्यतर प्रमत्तसंयत जीव आयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । श्राहारकमिश्रकाययोगमें इसी प्रकार जानना चाहिये । इतनी विशेषता है कि तदनन्तर समय में पर्याप्तिको प्राप्त होगा ऐसी स्थिति में इसके उत्कृष्ट स्वामित्व कहना चाहिये । कार्मणकाययोगमें सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? जो चार गतिका जीव पञ्चेन्द्रिय है, संज्ञी है, मिथ्यादृष्टि है, साकार जागृत तत्प्रायोग्य उत्कृष्ट संक्लेश परिणामवाला है, ऐसा अन्यतर कार्मण काययोगी जीव सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है ।
५०. स्त्रीवेदवाले और पुरुषवेदवाले जीवों में सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? जो तीन गतिका जीव संक्लिष्ट परिणामवाला है, मिथ्यादृष्टि है और साकार जागृत उपयोगसे उपयुक्त है, वह सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी है । श्रयुकर्मके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी ओघके समान है । इसी प्रकार नपुंसक वेद में जानना चाहिये । श्रपगतवेदवाले जीवोंमें सात कर्मोंके उत्कृष्ट स्थितिबन्धका स्वामी कौन है ? उपशम श्रेणिसे पतित होनेवाला जो अन्यतर श्रनिवृत्ति उपशमक जीव तदनन्तर समय में सवेदी होगा;
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