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महाबंधे ट्ठिदिबंधाहियारे
आयु० याव अणाहारगत्ति दव्वं । श्रसंखेज्जजीविगाणं अांतजीविगाणं वा एदेसि सत्तणं पि कम्मारणं ओघे चेव । वरिये असंखेज्जा जीवा तेसिं सत्तएण कम्मारणं श्रवत्त० भुजगारेण सह भारिणदव्वं ।
३०३. देसेण रइएस सत्तरगं क० भुज० अप्पद० सव्वजीवे ० haso ' ? संखेज्जदिभागो । अवहि ० के ० १ असंखेज्जा भागा । एवं सव्वेसिं असंखेज्जरासी खंतरासीणं वि श्रवत्तव्वबंधवज्जाणं ।
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३०४. मणुसपज्जत - मणुसिणीस घं । संखेज्जं कादव्वं । अवगद० सत्तरणं क० भुज० अप्पद ० - अवत्त ०बं० के ० १ संखेज्जदिभा० । अव०ि बं० केव० ९ संखेज्जा भागा। मुहुमसंप० छणं क० भुज० - अप्प० संखेज्जदिभागो । अहि० संखेज्जा भागा । सेसारणं सव्वाणं संखेज्जजीविगाणं सत्तणं क० भुज० - अप्प० संखेज्जदिभागो । अहि० संखेज्जा भागां । आयु० अवत्त० संखेज्जदिभागो । अप्पद० संखेज्जा भागा । सिं सत्तर क० अवत्त० अत्थि तेसिं संखेज्जजीविगाणं मणुसिभंगो ।
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हैं । अल्पतर पदका बन्ध करनेवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ! श्रसंख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । इसी प्रकार आयुकर्मकी अपेक्षा अनाहारक मार्गणातक जानना चाहिए । असंख्यात जीववाली और अनन्त जीववाली मार्गणाओं में सात कर्मोंका कथन श्रधके समान ही है । इतनी विशेषता है कि जिनमें असंख्यात जीव हैं, उनमें सात कर्मोंके अवक्तव्य पदका कथन भुजगारके साथ करना चाहिए ।
३०३. आदेशसे नारकियों में सात कर्मोंके भुजगार और अल्पतर पदका बन्ध करनेवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? श्रसंख्यातवें भागप्रमाण है । अवस्थित पदका बन्ध करनेवाले जीव कितने भागप्रमाण हैं ? श्रसंख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । श्रवक्लव्य बन्धके सिवा और पदोंका बन्ध करनेवाली और जितनी असंख्यात और अनन्त राशियाँ हैं, उन सबका भागाभाग इसी प्रकार जानना चाहिए ।
३०४. मनुष्य पर्याप्त और मनुष्यिनियों में सब पदका भागाभाग श्रधके समान है । इतनी विशेषता है कि यहाँ संख्यात कहना चाहिए। अपगतवेदी जीवों में सात कर्मोंके भुजगार अल्पतर और अवक्तव्य पदोंका बन्ध करनेवाले जीव सब जीवों के कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं । अवस्थित पदका बन्ध करनेवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । सूक्ष्मसाम्परायसंयत जीवोंमें छह कमौके भुजगार और अल्पतर पदका बन्ध करनेवाले जीव सब जीवोंके कितने भागप्रमाण हैं ? संख्यातवें भागप्रमाण हैं, अवस्थित पदका बन्ध करनेवाले जीव संख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । शेष संख्यात संख्यावाली सब मार्गणात्रों में सात कर्मोंके भुजगार और अल्पतर पदका बन्ध करनेवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं । अवस्थित पदका बन्ध करनेवाले जीव संख्यात बहुभागप्रमाण हैं । आयुकर्मके अवक्तव्य पदका बन्ध करनेवाले जीव संख्यातवें भागप्रमाण हैं । अल्पतर पदका बन्ध करनेवाले जीव संख्यात बहुभाग प्रमाण हैं । जिन मार्गणाओं में सात कमका प्रवक्तव्य पद होता है, उनमें संख्यात संख्यावाली राशियोंका भङ्ग मनुष्यिनियोंके समान है । इस प्रकार भागाभागानुगम समाप्त हुआ ।
५. मूलप्रतौ केवडि ? श्रसंखेज्जा भागा। श्रवद्वि० इति पाठः । २. मूलप्रतौ केव० संखेज्जा भा० । श्रवहि० इति पाठः । ३. मूलप्रतौ संखेज्जदिभागो श्रायु ० इति पाठः ।
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