Book Title: Kasaypahudam Part 05
Author(s): Gundharacharya, Fulchandra Jain Shastri, Kailashchandra Shastri
Publisher: Bharatiya Digambar Sangh
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सिरि- जइव सहाइरियविरइय-चुण्णिसुत्तसमण्णिदं सिरि-भगवंतगुण हर भडार अवहट्ठ
कसाय पाहु डं
तस्स
सिरि- वीरसेाइरिय विरइया टीका
जयधवला
तत्थ
अणुभागविहत्ती णाम उत्थो अत्थाहियारो
(Praanagari वीरं णमिण पत्तसव्वड' | अणुभागस्स विहतिं जहोवएस परूवेमो ॥ १ ॥2
जिन्होंने आठों कर्मोंका नाश कर दिया है और समस्त अर्थोंको प्राप्त कर लिया है उन श्री वीर जिनदेवको नमस्कार करके शास्त्रानुसार अनुभागविभक्तिको कहते हैं ॥ १ ॥
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