________________ 26 मुनिराज श्री भुवनसुन्दर विजयजी महाराज ने प्राचार्य हस्तीमलजी द्वारा लिखित "जैनधर्म का मौलिक इतिहास" पुस्तक पर यह मीमांसा लिखी है। इस तर्कपूर्ण और शास्त्रीय मीमांसा के विषय में मैं क्या कह सकता हूं? पाठक स्वयं पठन करें, सोचें और सत्य समझने में सफलता प्राप्त करें यही शुभाभिलाषा है। न्यायविशारद, वर्धमान तपोनिधि चिन्तामरिण जैन उपाश्रय प्राचार्य देवेश मधुमति विजय भुवनमानुसूरिजी नवसारी (जि. सूरत) महाराज साहब * गुजरात दि० 15-6-83 शिष्य - मुनि गुणसुन्दर विजय का /