________________ [प्रकरण-२२ ] एक हास्यास्पद कल्पना अाधुनिक युग के उच्छृखल चिन्तक जो प्राचीन जैनाचार्यों कथित चमत्कारपूर्ण घटनाओं में विश्वास नहीं करते हैं, उनके तुष्टिकरण हेतु प्राचार्य हस्तीमलजी ने पूर्वाचार्यों पर अविश्वास करने वाली साहसिकता का अवलम्बन कर खंड 2 प्राक्कथन पृ० 38 पर लिखा है कि xxx इसी प्रकार बहुत सी चमत्कारिक रूप से चित्रित घटनाओं को भी इस ग्रन्थ में समाविष्ट नहीं किया गया है। मध्ययुगीन अनेक विद्वान ग्रंथकारों ने सिखसेन प्रभृति कतिपय प्रभावक आचार्यों के जीवन चरित्र का आलेखन करते हुए उनके जीवन की कुछ ऐसी चमत्कारपूर्ण घटनाओं का उल्लेख किया है, जिन पर आज के युग के अधिकांश चिन्तक किसी भी दशा में विश्वास करने को उद्यत नहीं होते। 888 मीमांसा-पूज्यपाद सिद्धसेन दिवाकर सूरिजी के "कल्याणमन्दिर" नामक स्तोत्र के प्रभाव से शिवलिंग फटा था और उसमें से श्री पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा निकली थी। जिनप्रतिमा की मान्यता का विरोध करने के कारण ही माचार्य हस्तीमलजी ने पूज्यपाद सिद्धसेनसूरिजी आदि के विषय में ऐसा लिखा है कि चमत्कारिक घटना इस ग्रन्थ में नहीं लिखी गयी है / "चमत्कारिक घटनामों को इस ग्रन्थ में समाविष्ट नहीं किया है," ऐसा प्राचार्य हस्तीमलजी का कथन सर्वथा झूठा