Book Title: Kalpit Itihas se Savdhan
Author(s): Bhuvansundarvijay, Jaysundarvijay, Kapurchand Jain
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 202
________________ [ 156 ] भगवान को कल्पसूत्र प्रादि शास्त्रों में पुरुषादानीय कहा है। प्राचीन स्तोत्रों में आपके 108 नाम प्रसिद्ध हैं / इन नामों से सम्बन्धित विशाल तीर्थ आज भी मौजूद हैं और भविक लोग उन तीर्थों की यात्रा करके पावन होते हैं। चिंतामणि पार्श्वनाथजी, अंतरिक्ष पार्श्वनाथजी, अवंति पार्श्वनाथजी, शंखेश्वर पार्श्वनाथजी, जिरावला पार्श्वनाथजी वरकाणा पार्श्वनाथजी, नवखंडा पार्श्वनाथजी, नाकोडा पार्श्वनाथजी, सम्मेतशिखर पर श्री शामलिया पार्श्वनाथजी, पंचासरा पार्श्वनाथजी आदि अनेक नामों से भगवान श्री पार्श्वनाथजी अनेक तीर्थों में पूजे जाते हैं / इन सब तथ्यों को इतिहास लेखक प्राचार्य जानें और माने तथा सत्य को प्रात्मसात् करें, यही हमारी शुभेच्छा है / अगर मूर्तिपूजा को मैं बहुत प्राचीन और परमोपयोगी मानता हूं। जैनधर्म को अब तक इस रूप में टिकाये रखने का प्रमुख श्रेय मैं मूर्तिपूजा को देता हूं। -श्री अगरचन्दजी नाहटा, इतिहासवेत्ता एवं पुरातत्त्वविद्

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