________________ [ 96 ] xxxयदि प्रत्येक जिनशासनानुयायी में इस प्रकार की जागरूकता उत्पन्न हो जाए तो आज जैनागमों के सम्बन्ध में तथाकथित सुधारवादियों द्वारा जो विषैला प्रचार किया जा रहा है, उसके कुप्रभाव और कुप्रवाह को रोका जा सकता है।xxx मीमांसा-हमारा भी यही कहना है कि प्राचार्य हस्तीमलजी के प्राचीन जैन साहित्य विषयक सुधारवादी विषले दृष्टिकोण से जैन समाज को जागरूक रहना चाहिए। OTHA NA turns. | जैन शास्त्र में सम्यग्दर्शन से भ्रष्ट को भ्रष्ट कहा है। शास्त्र में स्थान पक्ष /