________________ [ 141 ] इतने महान उपकारक मागम-संरक्षक श्री देवद्धिगणि महाराज के विषय में प्राचार्य हस्तीमलजी प्रशंसा के दो शब्द तो न लिख सके किन्तु उपकार का बदला 'परम्परा' और 'श्रद्धालु' जैसे घटिया शब्द लिखकर अपकार से चुकाया है, जिसका हमें खेद है / जिसके दिल में सूत्राभ्यास द्वारा सद्बोध का प्रादुर्भाव होता है, उसके दिल में ही पागम सूत्र की तात्त्विक स्पर्शना होती है। -न्यायविशारद पूज्य यशोविजयजी उपाध्यायजी