________________ [ 150 ] मुख्य कारण जिन प्रतिमा विरोष ही है अन्यथा श्री मानतुगसूरिजी के विषय में भी श्री सिद्धसेनसूरिजी के सदृश ही चमत्कारिक घटना घटी है, जिसका वर्णन खंड 2, पृ. 646 पर प्राचार्य स्वयं ने अपनी ओर से ही किया है। यथा Xxx कमरों के द्वार स्वतः ही खुल गये, आचार्य मानतुग के सभी बंधन कट गये।xxx मैं उनके द्वारा निर्मित भक्तामर स्तोत्र आज भी जैन समाज में बड़ी ही श्रद्धा-भक्ति के साथ घर-घर में गाया जाता है। आचार्य श्री मानतुग सूरिजी को 44 कमरों में 44 बेड़ियों से जकड़ कर बन्द करना और एक एक श्लोक के प्रभाव से एक एक बेड़ी का टूटना और कमरे के द्वार स्वतः ही खुल जाना क्या इसको चमत्कारिक घटना नहीं कह सकते ? क्या तथाकथित आधुनिक चिंतक इस पर विश्वास करेंगे ? प्राचार्य का छल कपट तो देखो कि श्री आदिनाथ भगवान के भक्तामर स्तोत्र के विषय में श्री मानतुंगसूरिजी की चमत्कार पूर्ण घटना का अपनी ही ओर से उल्लेख करते हैं, जब कि श्री पार्श्वनाथ भगवान के "कल्याण मंदिर स्तोत्र" के विषय में श्री सिद्धसेनसूरिजी की चमस्कार पूर्ण घटना में-शिवलिंग फटना और पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिमा निकलना, यह बात खंड 2, पृ० 528 पर प्राचार्य ने कतिपय कथाग्रन्थों के नाम से लिखकर अप्रमाणिकता की है / यथा 444 राजा द्वारा बारबार आग्रह किये जाने पर सिद्धसेन ने महादेव के सच्चे स्वरूप की स्तुति प्रारम्भ की। कतिपय कथाग्रन्थों में बताया गया है कि सिद्धसेन, स्तुति के कुछ ही श्लोक का उच्चारण कर पाये थे कि अद्भुत तेज के साथ वहां भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमा प्रगट हो गई।