Book Title: Kalpit Itihas se Savdhan
Author(s): Bhuvansundarvijay, Jaysundarvijay, Kapurchand Jain
Publisher: Divya Darshan Trust

View full book text
Previous | Next

Page 195
________________ [ 146 ] xxx यदि प्रत्येक जिन शासनानुयायी में इस प्रकार की जागरूकता उत्पन्न हो जाए तो आज जैनागमों के सम्बन्ध में तथाकथित सुधारवादियों द्वारा जो विषेला प्रचार किया जा रहा है, उसके कुप्रभाव और कुप्रवाह को रोका जा सकता है। Xxx मीमांसा हमारा भी यही कहना है कि तथा कथित सुधारवादी प्राचार्य स्वयं ही हैं, जिन्होंने नामधारी समिति रचकर, स्थानकपंथी स्वमान्यतानुसार "जैनधर्म का मौलिक इतिहास" लिखकर जैन धर्म के इतिहास के नाम पर काला कलंक लगाया है और जैन समाज में भ्रम एवं विघटन फैलाने का असद् कार्य किया है / उसके कुप्रभाव और कुप्रवाह को रोकने हेतु ही गुरुकृपा से हमने यह मीमांसा रचकर जागरूकता दिखाने का प्रयत्न किया है / जैनागमों, आगमेतर प्राचीन जैन साहित्य, पूर्वाचार्यों के कथनों और जैनधर्म बिषयक प्राप्त प्राचीन शिलालेखों, मूर्तियों प्रादि ध्वंसावशेष पर जिनको विश्वास हो उन जिन शासनानुयायियों से हमारा निवेदन है कि वे तथाकथित सुधारवादियों की प्रवृत्ति से सतर्क रहें। स्थानकपंथ के कर्णधार प्राचार्य हस्तीमलजी ने पट्टावली प्रबन्ध संग्रह. जैनधर्म का मौलिक इतिहास, सैद्धान्तिक प्रश्नोत्तरी, जैन प्राचार्य चरितावली आदि किताबें लिखकर स्वार्थवश या और भी किसी कारणवश जैन समाज में द्वेष विष फैलाया है। हमने इस विषय में यत् किंचित् प्रयास किया है, लेकिन इस विषय में शास्त्रमर्मज्ञों को अधिक प्रयास करना चाहिए / अन्यथा ऐसे कल्पित इतिहास आदि विषैले साहित्य का प्रचार रुकना असंभव ही है। "सुधारवादी प्राधुनिक चिंतकों को नहीं जचे" इसका बहाना बाजी कर प्राचार्य कह रहे हैं कि श्री सिद्धसेन सूरिजी आदि का चरित्र हमने इस इतिहास में नहीं दिया है, किन्तु यह सर्वथा गलत है, इसका

Loading...

Page Navigation
1 ... 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222