Book Title: Kalpit Itihas se Savdhan
Author(s): Bhuvansundarvijay, Jaysundarvijay, Kapurchand Jain
Publisher: Divya Darshan Trust

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Page 186
________________ [प्रकरण-३] मथुरा के कंकाली टीले की खुदाई इतिहास की सत्यता के लिये हस्तलिखित प्राचीन ग्रंथ की तरह प्राचीन शिलालेख, सिक्के, मूर्तियाँ, ताम्रपत्र, ध्वंसावशेष एवं पट्टे आदि को भी प्रामाणिक सामग्री माना गया है / ___जैनधर्म की प्राचीनता सिद्ध करने के लिये एवं प्रागम शास्त्रों की सच्चाई को सिद्ध करने वाली जमीन में से निकाली हुई प्राचीन जिन प्रतिमा और प्रतिमा की चौकियों पर लिखे हुए लेख प्रामाणिक पुरावा (सबूद) है / तक्षशिला के पास 'मोहन-जो-दरो' में प्राचीन जिन प्रतिमा निकली है / उड़ीसा में उदयगिरि तथा खंडगिरि पर्वत पर खुदाई करने से जिनमूर्तियां आदि मिली हैं। ऐसे तो सैंकड़ों उदाहरण हैं, जहाँ जमीन में से प्राचीन जिन प्रतिमा आदि मिली हों। इन सबसे जिन मंदिर, जिन प्रतिमा एवं प्रतिमा पूजा प्राचीन काल में भी थी इस तथ्य पर विशद् प्रकाश पड़ता है। प्रागमशास्त्र और प्रागमेतर प्राचीन जैन साहित्य वृत्ति, चणि, भाष्य और टीकादि भी जिन मंदिर, जिन प्रतिमा एवं जिन पूजा के तथ्यों के समर्थक रहे हैं। ऐसी दशा में अगर स्थानकपंथी स्वयं को प्रामाणिक करते हैं तो उन्हें उक्त सत्य को स्वीकार करना ही चाहिए। मथुरा के कंकाली नामक एक प्राचीन टीले की खुदाई भारत सरकार द्वारा करने पर सैंकड़ों प्राचीन मूर्तियाँ, सिक्के, चरण पादुकाएं,

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