________________ [ 108 ] जिनमंदिर, जिनप्रतिमादि के विषय में प्राचार्य को अनेकान्तवाद का आश्रय लेना चाहिए, क्योंकि शास्त्रों में स्याद्वादपरिकर्मित शुद्ध श्रद्धा और परिणति के बिना व्यक्ति को द्रव्यचारित्री ही कहा है। स्थावर हिंसा जिनपूजा में, यह देख तू ध्र जे / तो पापी वह दूर देश से, जो तुझे प्राकर पूजे / / -न्यायविशारद पूज्य यशोविजयजी उपाध्याय महाराज -