________________ [ 16 ] प्रतिष्ठा करवायी थी। श्री भगवती सूत्र आदि पागम शास्त्रों में भी देव-देवियों की बात आती है / आदि अनेक तथ्य होते हुए भी आचार्य हस्तीमलजी यक्ष-यक्षिणी के विषय में प्रकाश में प्राना पसन्द नहीं करते हैं, यह उनका गहरा पक्षपात ही है। प्रागरा लोहामंडी से छपी 'मंगलवाणी' किताब, संकलनकर्ता स्थानकपंथी अखिलेशमुनि ने पृ० 354 ( ग्यारहवाँ संस्करण ) पर "घंटाकर्ण महावीर का मंत्र" दिया है, और इसको 21 बार गिनने पर भूत-प्रेतादि पीडा नाश होती है ऐसा लिखा है / जब स्थानकपंथियों को "घंटाकर्ण महावीर" के विषय में पूछते हैं तब वे इस विषय में कुछ नहीं बताते हैं / किन्तु इस "घंटाकर्ण महावीर मंत्र" से भी स्थानकमार्गी द्वारा देव-देवियों के तथ्य को पुष्टि तो अवश्य होती ही है / फिर सत्यतथ्य को स्वीकारने में इन्कार क्यों ? अनेकान्त का समुचित बोध रहित सम्यग्दर्शन द्रव्य सम्यग्दर्शन है / -पू० यशोविजयजी उपाध्याय महाराज