________________ [ 55 ] जिनमंदिर में जिनपूजा के अवसर, स्थावरकाय जीवों की स्वरूपमात्र विराधना के विषय में हिंसा हिंसा का शोर मचाने वाले और दयाधर्म की बांग पुकारने वाले प्राचार्य हस्तीमलजी ने परमकृपालु, ज्ञानभित वैराग्यवन्त, जन्म से तीन ज्ञान धारक श्री नेमिनाथ परमात्मा को संहारक हिंसक लीला करने वाला बताया है, यह कहां तक सही हो सकता है, पाठक स्वयं निर्णय कर सकते हैं। मातलि सारथी के 'लीला दिखाइये' सिर्फ इतना कहने पर ही जन्म से पाप कार्यों से परांगमुख श्री नेमिनाथ भगवान को मानो पानी चढ़ गया और संहारक लीला दिखायी ऐसा खण्ड 1, पृ० 358 पर प्राचार्य लिखते हैं / यथा xxx इस तरह प्रभु ( अरिष्टनेमिनाथजी ) ने बहुत हो स्वल्प समय में एक लाख शत्रु-योद्धाओं को नष्ट कर डाला।xxx मीमांसा-दयार्द्र श्री नेमिकुमार ने पशु संहार के बारे में सोचकर और पशु पुकार को सुनकर शादी तक नहीं की थी और संसार त्यागपूर्वक चारित्र लिया था। ऐसे परमकृपालु परमात्मा नेमिनाथ ने लाख सैनिकों को मार गिराया ऐसा भाचार्य हस्तीमलजी का लिखना विचार शून्य और सूत्र के रहस्यों एवं परमार्थ नहीं जानने की क्षमता को ही सूचित करता है / यद्यपि इस विषय में बिना गुरुगम और अनभिज्ञतावश प्राचार्य हस्तीमलजी ने परमात्मा श्री अरिष्ट नेमिनाथजी की 'नरसंहारक लीला' वह भी मातलि सारथी के “लीला दिखाइये" सिर्फ इतने शब्दों पर, को त्रिषष्ठि शलाका पुरुष चरित्र के साथ जोड़ना चाहा है जो अनुचित है। लकीर के फकीर बनकर अन्य को सूत्र के परमार्थ रहस्य को जानों ऐसा कोरा उपदेश [ श्री ऋषभदेव भगवान के 400 दिन के उपवास के विषय में] देने वाले अहिंसक धर्म के ठेकेदार प्राचार्य ने यहाँ सूत्रार्थ को जानने की कोशिश नहीं की है, इस कारण ही सिर्फ मातलि