________________ [ 68 ] नाम के यक्ष का मंत्र-जंत्र छपवा रहा है, तो कोई पालू, बासी, मक्खन मादि अभक्ष्य का भक्षण करने पर भी दया धर्म की बांग पुकार रहा है, तो कोई श्री महावीर स्वामी प्रादि की मुहपत्ती बंधी हुई तस्वीरफोटो छपवाकर बंटवा रहा है, तो कोई निज की तस्वीर युक्त लोकेट अपने भक्तों को दे रहा है, यह कितना असामंजस्य ? तप संयम किरिया करो, मन राखो ठाम / समकित बिन निष्फल हुए, जिम व्योम चित्राम / / -पूज्यपाद् ज्ञानविमलमूरिजी महाराज साहब