________________ [ 77 ] बुलवाना, उनके निमित्त चौका-चलाने की प्रेरणा देना, नारियल नादि की प्रभावना बांटना, गोठ-प्रीतिभोज करवाना आदि प्रवृत्तियां दयामय धर्म से प्रेरित है या हिंसामय धर्म से ? इसमें बाह्याडम्बर है कि जैन‘शासनोन्नति है ? पाश्रव-पाप है या धर्म-संवर? इन प्रश्नों का प्राचार्य स्वयं को प्रामाणिक एवं शास्त्रीय उत्तर देना चाहिए। MM - भगवान की आज्ञा के आदर से मोक्ष . पौर अनादर से संसार होता है। .. -कलिकाल सर्वज्ञ पूज्य हेमचन्द्राचार्य म०