________________ [प्रकरण-१५] प्रतिमा से वैराग्य का उपदेश कुम्भराजा की पुत्री मल्लिकुमारी का सौंदर्य अलौकिक था। लोकोत्तर सौंदर्य की प्रशंसा सुनकर पूर्वभव के छह मित्रों ने मल्लिकुमारी के साथ शादी करनी चाही / राजा कुम्भ डर गये कि एक राजकुमार को मल्लिकुमारी देने पर उन्हें अन्य के साथ लड़ाई मोल लेनी पड़ेगी। बाद में मल्लिकुमारी ने अपनी प्रतिकृति-प्रतिमा बनवाकर शरीर की अशुचिता उस प्रतिमा-मूर्ति द्वारा दिखाकर उन छहों राजकुमारों को प्रतिबोधित किया था। श्री ज्ञातासूत्र एवं ठाणांगसूत्र में भी लिखा है कि मल्लिकुमारी ने अपनी प्रतिकृति-प्रतिमा द्वारा राजकुमारों को प्रतिबोधित किया था। इस विषय में खंड 1, पृ० 278 पर प्राचार्य हस्तीमलजी लिखते हैं कि xxx सूर्योदय होते ही मोहन घर के गर्भगृहों के वातायनों में से जितशत्रु आदि उन छहों राजाओं ने भगवती मल्लि द्वारा निर्मित साक्षात् मल्लि की प्रतिकृति-प्रतिमा को मणिपीठ पर देखा / xxx मीमांसा-तस्वीर में बहुत कुछ रहस्य भरा हुआ है, तभी तो स्थानकपंथी संत भी अपनी तस्वीरें आज भी बड़े चाव से छपवातेबंटवाते नजर आते हैं। पिछले प्रकरण में हम देख पाये हैं कि श्री नेमिनाथ और राजीमति के चित्रों के दर्शन, श्री पार्श्वकुमार को चारित्र